नई दिल्ली. पशुपालन के जरिए किसान अपनी इनकम को दोगुना कर लें, इसको लेकर सरकार कुछ न कुछ मुहिम चलाती रहती है. किसानों को इस सेक्टर के प्रति आकर्षित करने के लिए कई योजनाओं का भी संचालन किया जाता है. वहीं अक्सर किसानों के बीच पशुओं को भी बांटा जाता है ताकि वो अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकें. इसी क्रम में केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसन्धान संस्थान अविकानगर की ओर से बीपीएल लाभार्थी किसानों को बकरी बांटी गई है. बताया गया कि कुल 10 बकरियां वितरित की गईं हैं. इसके अलावा इसी संस्थान की ओर से एक अन्य योजना के तहत भेड़ पालकों के बीच भेड़ का भी वितरण किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि बकरी और भेड़ को इस वजह से किसानों को बांटा गया है कि वो इन पशुओं को पालकर अपनी आजीविका चलाएं. पशुपालन करके अपनी इनकम को बढ़ा सकें. किसानों को बकरी पालन और भेड़ पालन की अहम जानकारियों से भी रूबरू कराया गया है
10 बकरियां बांटी गईं
केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसन्धान संस्थान अविकानगर में सिरोही बकरी परियोजना की अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत चांदसेन गांव के पांच बीपीएल लाभार्थी किसानों को आजीविका के लिए 2 सिरोही बकरी प्रति किसान बांटी गई. 10 बकरियों का वितरण भारतीय क़ृषि अनुसन्धान परिषद नई दिल्ली के पशुविज्ञान डिप्टी जनरल डायरेक्टर डॉ. रघुवेंद्र भट्टा की मौजूदगी में किया गया. एनिमल जेनेटिक और प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सिद्धार्थ सारथी मिश्रा ने बताया कि बकरी बांटने का काम चांदसेन गांव पिछले कई सालों से किया जा रहा है. जिससे किसान स्थानीय स्तर पर आजीविका कमा सकें. इस दौरान संस्थान निदेशक डॉ. अरुण कुमार तोमर, डॉ. आर के सवाल, डॉ. प्रवीण मलिक, डॉ. आनंदम, डॉ. रामोतार लेघा, डॉ. सरवन, जगदीश गुर्जर आदि लोगो भी उपस्थित रहे.
किसानों को नस्ल सुधार के लिये दिया नर भेड़
केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसन्धान संस्थान अविकानगर मे मालपुरा परियोजना के चयनित गांवो आमली, खेड़ा व अरनिया काकड़ के तीन मालपुरा नस्ल का भेड़ पालन करने वाले किसानों को नस्ल सुधार के लिए तीन मालपुरा बीजू नर भेड़ का वितरण किया गया. पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पीके मलिक ने बताया कि मालपुरा तहसील के 70 से ज्यादा मालपुरा नस्ल के भेड़ पालक को पशु दिया जा चुका है. जिससे किसान भेड़ में नस्ल सुधार के साथ आजीविका कमाने का काम कर रहे हैं. किसानों को ट्रैक सूट के साथ पानी की बोतल का भी दी गई. इस दौरान स्थान निदेशक डॉ अरुण कुमार तोमर समेत तमाम लोग मौजूद रहे. वहीं कार्यक्रम में विभिन्न गांवो के 14 महिलाएं और 18 पुरुष किसान मौजूद रहे.
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