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Poultry: पोल्ट्री फीड के आएंगे अच्छे दिन, सस्ता हो सकता है अंडा-चिकन, सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला

Poultry farming: Not only airborne infections, but also water can spread disease in chickens, Livestocknews.com
फार्म में चारा खाती मुर्गियां. live stock animal news

नई दिल्ली. देश में पोल्ट्री फीड के अच्छे दिन आने वाले हैं. ये अच्छे दिन सरकार के एक फैसले के बाद आने की उम्मीद लगाई जा सकती है. अगर सरकार का ये फैसला रंग लाता है तो आने वाले दिनों में आम इंसान जो अंडो और चिकन खाने के शौकीन हैं, उन्हें भी इसका फायदा मिलेगा. एक्सपर्ट का कहना है कि अंडा और चिकन के दाम में कमी आ सकती है और आम लोगों को अंडा और चिकन सस्ता मिल सकता है. ऐसे में आपके जहन में भी सवाल उठने लगा होगा कि आखिरी सरकार ने ऐसा क्या फैसला लिया है कि पोल्ड्री फीड से लेकर आम देश की जनता के लिए अच्छे दिन आ सकते हैं.

दरअसल, केंद्र सरकार ने “इथेनॉल उद्योगों के वॉटर अपटेक वाले क्षेत्रों में मक्का उत्पादन में वृद्धि” नाम से प्रोजेक्ट की शुरुआत कर दी है. ज‍िसकी ज‍िम्मेदारी आईसीएआर को दी गई है. भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) इसके जरिए मक्का उत्पादन बढ़ाने को लेकर काम करेगा. इस मुह‍िम में एफपीओ, किसान, डिस्टिलरी और बीज उद्योग को साथ लेकर काम क‍िया जाएगा. इसके तहत इस समय क‍िसानों को ज्यादा पैदावार देने वाली क‍िस्मों के बीजों का व‍ितरण क‍िया जा रहा है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओड‍िशा और उत्तर प्रदेश में डीएचएम-117 और डीएचएम-121 क‍िस्म के 3000 क‍िलो बीज अब तक बांट द‍िए गए हैं.

पिछले साल का उत्पादन
बता दें कि कृषि मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में मक्का उत्पादन में 10 मिलियन टन की वृद्धि करने का लक्ष्य तय किया है. क्योंकि पोल्ट्री फीड के ल‍िए मक्के की मांग बढ़ ही रही है. पोल्ट्री में फीड के तौर पर मक्का का इस्तेमाल 60 फीसदी तक होता है और हर साल पोल्ट्री फीड की डिमांड 8 से 10 परसेंट बढ़ जाती है. कृष‍ि मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो साल 2022-23 में खरीफ, रबी और ग्रीष्मकालीन तीनों म‍िलाकर 380.85 लाख मीट्र‍िक टन यानी लगभग 38 म‍िल‍ियन टन मक्का का उत्पादन हुआ था. ज‍िसे बढ़ाना समय की मांग है और इस मुह‍िम में आईआईएमआर जुट गया है.

क्या है प्लान, पढ़ें यहां
इस वजह से सरकार ने ये फैसला लिया है कि देश में मक्का उत्पादन बढ़ाया जाए. अगर प्लान पर गौर किया जाए तो इसके तहत 1500 एकड़ में मक्के की बुवाई की जानी है. ज‍िसमें से खरीफ 2024 सीजन में 1140 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है. सभी संबंध‍ित ज‍िलों में इसके ल‍िए उन्नत बीज बांटे जा रहे हैं. अभी तक बायोसीड, डीएमएच 117, डीएमएच 122, डीएमआरएच 1308, पायनियर 3401, पायनियर 3396, डीकेसी 9144, डीकेसी 9133 और डीकेसी 9178 के साथ-साथ कोर्टेवा, बायोसीड, बेयर जैसी कंपन‍ियों के बीजों को भी शामिल किया गया है.

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