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Animal Husbandry: एक्सपर्ट के टिप्स से करें ब्रीडर सांड की देखरेख,सुधरेगी गाय-भैंस की नस्ल, बढ़ेगा मुनाफा

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. गाय पालन हो या भैंस पालन, दोनों में नस्ल का बड़ा महत्व है. अगर गाय-भैंस नस्लीय हैं तो इसके बड़े फायदे हैं. जैसे ज्यादा दूध देने वाली होगी. नस्लीय होगी तो बीमारियां भी कम लगेंगी. ग्रोथ भी अच्छी होगी, लेकिन ये तभी मुमिकन है जब गाय या भैंस को एक अच्छे ब्रीडर सांड से गाभिन कराया जाए. उस ब्रीडर सांड में वो सभी खूबियां हों जिसका जिक्र एनिमल एक्सपर्ट करते हैं. अगर ब्रीडर सांड अच्छा होगा तो गाय-भैंस की नस्ल सुधरने के साथ ही दूध भी अच्छा मिलेगा और मुनाफा बढ़ेगा.

इतना ही नहीं अगर आपके बाड़े में अच्छा सांड है तो वो भी महीने की अच्छी कमाई कराता है. आज पशुओं को गाभिन कराने के लिए आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (एआई) का इस्तेमाल किया जाता है. अगर ब्रीडर सांड में क्वालिटी है तो उसका सीमेन भी अच्छे दाम पर बिकता है. बड़ी-बड़ी डेयरियों में ऐसे सांड की डिमांड रहती है. लेकिन एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसे ब्रीडर सांड की देखभाल पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है. इस खबर में हम आपको ब्रीडर सांड की देखभाल से जुड़े कुछ ऐसे ही टिप्स के बारे में बता रहे हैं.

  • इन बातों का रखे ध्यान
  • सांड का बाड़ा आरामदायक और बड़ा हो, जहां से वह अन्य पशुओं को आसानी से देख सके.
  • बाड़ा ऐसा हो जो उसे अधिक गर्मी और सर्दी से सुरक्षित रख सके.
  • खूखार सांड से किसान की सुरक्षा का इतजाम बाड़े में अवश्य रखें.
  • प्राकृतिक गर्भाधान का स्थान बाड़े से दूर होना चाहिए.
  • प्राकृतिक गर्भाधान के लिए सांड की उम्र कम से कम ढाई साल और वजन 350 किलोग्राम होना चाहिए.
  • कम उम्र के सांड को सप्ताह में दो या तीन बार ही इस्तेमाल करना चाहिए.
  • भैंस पर सांड केवल एक बार ही कुदाना चाहिए. दो या तीन बार सांड को कुदाने की न ही कोई आवश्यकता है और न ही कोई लाभ.
  • एक भैंस को गाभिन करने के बाद झोटे को एक दिन का अंतर देकर अगली भैंस पर कुदाना चाहिए.
  • झोटे को कुदाते वक्त यदि भैस की योनि पर गोबर लगा हो तो उसे पानी से या साफ कपड़े से अच्छी तरह साफ करना चाहिए.
  • झोटे को संगम कराने से पहले उसे मैथुन के लिए उत्तेजित करना आवश्यक होता है. इसके लिऐ झोटे को दो-तीन बार भैंस के ऊपर कुदाएं और तुरंत हटा ले, ताकि संगम न हो सके. इसके बाद ही झोटे और भैस का वास्तविक मिलन कराएं.
  • यदि झोटा सुस्त है तो भैस दिखाने के बाद उसे दूर ले जाए.
  • थोड़ा घुमाने के बाद उसे भैंस पर कुदाएं.
  • भैंस के पास कोई दूसरा सांड बांधने से भी सांड़ को उत्तेजना मिलती है.
  • भैस पर कुदाते समय झोटे के साथ नम्र व्यवहार करना चाहिए तथा मारपीट नहीं करनी चाहिए.
  • सांड को प्रतिदिन कम से कम एक घंटा व्यायाम करवाएं.
  • सांड को रोज खुरेरा करें तथा रोज नहलाएं.
  • हर छह महीने के बाद उसके खून की जांच ब्रुसेलोसिस रोग तथा अन्य यौन रोगों के लिए करा लें.
  • समय समय पर बीमारी रोधक टीके लगवाएं.
  • समय पर संतुलित आहार दें.

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