नई दिल्ली. देश में दूध की मांग शहर हो या देहात, सभी जगह बढ़ी है. डेयरी में आज अच्छा बिजनेस कर पशुपालक इनकम की ग्रोथ कर रहे हैं. सरकार भी डेयरी को बढ़ावा देने के लिए कोशिशें कर रही है. अच्छी नस्लों के मवेशी, सब्सिडी, आसानी से मिलने वाला लोन और कई योजनाओं से पशुपालकों को लाभ दिया जा रहा है. मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने मीडिया रिपोर्ट्स में कार्यक्रमों की जानकारी दी.
पशुपालन और डेयरी विभाग, बिहार सहित पूरे देश में डेयरी आधारित बिजनेस को बढ़ाने के लिए स्कीम चला रही है. ऐसी ही एक स्कीम है, राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम). इसमें देशी नस्लों के विकास और उन्हें पालना, गोजातीय आबादी के जेनेटिक्स और गोजातीय पशुओं के दूध प्रोडक्शन और उसकी वृद्धि के लिए आरजीएम योजना चलाई जा रही हैं. इस योजना में शुरू से ही गोपालगंज जिले सहित बिहार को 260.79 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता जारी की गई है.
राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) दूध एवं दूध प्रोडक्ट की क्वालिटी बढ़ाने और दूध खरीद में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए एनपीडीडी योजना चलाई जा रही है. इस योजना में शुरू से ही गोपालगंज जिले सहित बिहार में 29 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनका कुल खर्च 380.43 करोड़ रुपये है, जिसमें 263.24 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और 55.01 करोड़ रुपये की लोन राशि शामिल है.
पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) एएचआईडीएफ योजना का उद्देश्य दूध प्रोसेसिंग और आय दोगुनी करना और आधुनिकीकरण करना है. इस योजना के तहत बिहार में 125.40 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ दो डेयरी प्रोसेसिंग स्कीम को मंजूरी दी गई है, जिसमें 84.20 करोड़ रुपये की लोन राशि भी शामिल है.
डेयरी गतिविधियों में लगे डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एसडीसी और एफपीओ) को सहायता प्रदान करना:
लोन पर ब्याज सब्सिडी के रूप में मदद प्रदान करना. इस योजना में बिहार में भाग लेने वाली एजेंसियों को 3.22 करोड़ रुपये का ब्याज अनुदान जारी किया गया है. इसके अलावा, बिहार राज्य दुग्ध सहकारी संघ लिमिटेड (कॉम्फेड) ने बताया है कि सिडबी क्लस्टर विकास निधि (एससीडीएफ) से बिहार के गोपालगंज जिले में 53.64 करोड़ रुपये की कुल लागत से 1 लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला अत्याधुनिक डेयरी प्रोसेसिंग प्लांट स्वीकृत किया गया है. राज्य और भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों/योजनाओं/पहलों के कारण, बिहार में दूध उत्पादन 2014-15 में 7.77 मिलियन टन से बढ़कर 2023-24 में 12.85 मिलियन टन हो गया. डीएएचडी की योजनाओं के अलावा, सरकार ने पशुपालन और डेयरी किसानों को उनकी वर्किंग कैपीटल के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) सुविधा भी दी है.
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