नई दिल्ली. पशुओं के लिए हरा चारा बहुत ही जरूरी होता है. पशुओं की कई जरूरतों को हरा चारा पूरा करता है. जब गर्मी आती है तो पूरे देश में हरे चारे की कमी हो जाती है. खासतौर पर उन इलाकों में जहां कम बारिश होती है. इसके अलावा इन इलाकों में स्थिति तो और ज्यादा ही खराब हो जाती है. हालांकि अगर आप भी पशुपालक हैं और पशुओं के लिए सालभर हरे चारे की उपलब्धता चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए है.
क्योंकि संकर नेपियर बाजरा एक ऐसा हरा चारा है, जिसकी उपलब्ता सालभर रहती है. यानि किसी भी मौसम में इसे खिलाया जा सकता है. वहीं एक बार इस फसल को बो दिया जाए तो पांच साल तक इससे पशुओं के लिए पौष्टिक चारा लिया जा सकता है. फिर देर किस बात की है. आइए जानते हैं कि इसे हरे चारे को कैसे बोया जाए. क्या है इसकी खासियत आदि.
कब करना है बुवाई: एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि यह एक बहुवर्षीय हरे चारे की फसल हैं, जिसमें पूरे वर्ष हरा चारा मिलता है. यह सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्र में ही उगाई जा सकती है. इसकी बुवाई का सही समय जुलाई-अगस्त है. यहां पशुपालकों को समझना चाहिए कि अगर उनके पास इस वर्ष चारे की कमी है तो अगले साल के लिए वो अभी से तैयारी कर सकते हैं. इस फसल की बुवाई के तरीके की बात की जाए तो इसमें बीज नहीं बनते हैं, इसलिए इसकी बुवाई इसके परिपक्व तने के टुकड़ों से या जड़ सहित तने के टुकड़ों से की जाती है.
हर 45 दिन पर करें कटाई: कटाई की बात की जाए तो 4-6 प्रतिवर्ष पहली कटाई 3 माह बाद बुवाई होने पर की जा सकती है. उसके बाद में 45 दिन के अंतराल पर इसकी कटाई की जाती है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि इस फसल से हरे चारे की कमी नहीं होगी. इस हरे चारे की उपज औसतन 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. प्रति वर्ष करीब 1500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इससे हरा चारा मिल जाता है. किस्मों की बात करें तो एन.बी. 21, आई.जी.एफ.आर.आई-3, आई.जी.एफ.आर.आई.-7. पूसा जाईंट, संकर नेपियर-3 आदि को बोया जा सकता है.
खाद व उर्वरक कितना मिलाएं: तने के टुकड़ों में कम से कम दो गांठें होनी चाहिए. इन टुकड़ों को कतार से कतार की दूरी 1 मीटर व पौधे से पौधे की दूरी 50 सेमी के हिसाब से खेत में लगाते हैं. एक बार लगाई गई पौध से 4-5 वर्ष तक पूरे वर्ष हरा चारा मिलता है. जो पौधा मरने लगे उसकी जगह नई पौध लगाई जा सकती है. खाद व उर्वरक के तौर पर 25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद बुवाई के एक माह पूर्व खेत में मिलाएं. बुवाई के समय 50 किग्रा नत्रजन व 50 किग्रा फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए. बाद में प्रत्येक कटाई के बाद 30 किग्रा नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए.
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