नई दिल्ली. राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान एनडीआरआई में आयोजित किए गए मेले में हरियाणा नस्ल की गाय ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. हालांकि इस मेले में साहिवाल और गीर नस्ल की गाय भी पहुंची थीं लेकिन सभी का ध्यान हरियाणा नस्ल की गाय पर था. बताया जा रहा है कि यह गाय लगातार चौथी बार इस सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आई थी. 17 किलो दूध देने वाली हरियाणा नस्ल की ये गाय तीन बार इनाम जीत चुकी है. जबकि ये गाय दूध का उत्पादन कम करती है. फिर भी इनाम जीत जाती है. दरअसल, इसका दूध बहुत गुणकारी बताया जा रहा है, जिसकी वजह से यह इनाम जीतने में कामयाब रहती है.
इस नस्ल की गायों की एक जबरदस्त खूबी होती है. इस नस्ल की गायों में गर्मी को सबसे ज्यादा सहन करने की क्षमता होती है. सूरज की तेज रोशनी भी इनका शरीर आसानी से सहन कर लेता है. गर्मी की वजह से इनके दूध उत्पादन पर ज्यादा फर्क नहीं आता है. जबकि इनका दूध गुणकारी बन जाता है. हरियाणा नस्ल की इस गाय का दूध देने का रिकॉर्ड 17 किलो का है. इस बार इस गाय की तीसरी ब्यात होगी.
क्या-क्या खाती है ये गाय
बता दें कि श्री कृष्ण गौशाला जुंडला में गोपाल गोस्वामी की देखरेख में गायों का पालन पोषण किया जा रहा है. वहीं से ये गाय मेले के सौंदर्य प्रतियोगिता में भागीदारी के लिए लाई गई थी. पशुपालक ने बताया कि इस गाय को चूरी के अलावा हरा चारा, खल दलिया खिलाया जाता है. हर दिन ये गाय 2 किलो चूरी को खाती है. जबकि तीन से चार किलो हरा चारा खा लेती है. वहीं दो किलो खल और 2 किलो दलिया खुराक के तौर पर खाती है. इसके अलावा मौसम के अनुसार अन्य चीज भी खुराक में शामिल की जाती है.
भैंस खाती है घी में बना गाजर का हलवा
वहीं मुर्रा नर्सरी की एक भैंस भी मेले में आई थी. ये भैंस बालाजी डेरी फार्म विजवाना की है और उसकी उम्र 21 महीने की है. इसके बारे में अनिल विजवाना ने बताया कि पहली बार मेले में इस भैंस को लाया गया और यह लोगों का आकर्षण का केंद्र बनी. लोग इसको खूब निहार रहे थे. उसके बारे में जानकारी कर रहे थे. उन्होंने बताया कि इस भैंस को खल के तौर पर बिनौले की खल, चूरी, तेल, गुलगुले खिलाए जाते हैं. वहीं इसकी मनपसंद खुराक गाजर और घी से बना हलवा है, जो इसे खूब खिलाया जाता है.
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