नई दिल्ली. इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है. गर्मी की वजह से आम इंसानों के साथ-साथ पशुओं का भी हाल बेहाल है. पशुओं को तो ज्यादा परेशानी हो रही है. दुधारू पशुओं का उत्पादन कम हो गया है. जिसको लेकर पशुपालकों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं हैं. बताते चलें कि अभी ये शुरुआत है और आने वाले समय में स्थिति और ज्यादा गंभीर होने के आसार हैं. दरअसल, मौसम विज्ञान विभाग की ओर से बताया गया कि कई राज्यों में लू चल रही है और कई राज्यों में चलने वाली है. ऐसे में पशुओं की और ज्यादा देखभाल करने की जरूरत है.
बता दें कि पंजाब, हरियाणा-चंडीगढ़-दिल्ली के कई हिस्सों और राजस्थान के कुछ इलाकों में लू से लेकर गंभीर लू चलने की संभावना है. जबकि 20 मई को यूपी, एमपी, गांगेय पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, झारखंड, गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ के अलग-अलग/कुछ इलाकों में लू चलने की संभावना है. लू चलने पर खासतौर पर छोटे बड़े पशुओं की ज्यादा देखभाल करनी चाहिए. उन्हें ज्यादा गर्म और ज्यादा ठंडा मौसम दोनों ही नुकसान पहुंचाता है.
डेयरी पशुओं के लिए क्या करें
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि जब लू चलने लगे तो पशु आवास में साफ हवा जाने और दूषित हवा बाहर निकलने के लिए रौशनदान होना चाहिए. अगर पशुशाला में रौशनदान न हो तो तुरंत इसे बनवा लें. गर्म दिनों में पशु को 24 घंटे के अंदर कम से कम दो बाहर जरूर नहलाना चाहिए. दिन में नहलाएं और शाम को भी नहलाएं. जबकि ब्लैक स्किन होने के नाते भैंसों को ठंडे पानी से नहलाना बेहद ही जरूरी है. वहीं पशु को ठंडा पानी पर्याप्त मात्रा में पिलाना भी बेहद जरूरी होता है. अगर पशु 10 लीटर दूध दे रहा है तो कम से कम 30 लीटर पानी की आवश्यकता उसे होती है. जबकि गर्मी में और ज्यादा पानी देना चाहिए. वहीं संकर नस्ल के पशु जिनको अधिक गर्मी सहन नहीं होती है उनके आवास में पंखे या कूलर लगाना चाहिए. ताकि उन्हें गर्मी से बचाया जा सके.
मुर्गियों की पानी की जरूरत हो जाती है दोगुनी
पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि लू मुर्गियों के लिए भी बेहद खतरनाक है. इसलिए पानी की उचित व्यवस्था रखना जरूरी होता है. गर्मियों में मुर्गियों में पानी की खपत भी आम दिनों के मुकाबले दोगुनी हो जाती है. इसलिए जरूरी है कि पोल्ट्री फार्म में हर समय स्वच्छ और ठंडा पानी उपलब्ध रहे, ताकि मुर्गियो को जब प्यास का एहसास हो वो पानी पी लें. वहीं पानी का बर्तन प्लास्टिक या जस्ते कभी भी नहीं रखना चाहिए. प्लास्टिक में पानी गर्म हो जाता है. इसके स्थान पर मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल करना ही बेहतर होता है.
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