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Animal News: इस राज्य में बेसहारा पशुओं को सहारा देने के लिए 651 करोड़ रुपए होंगे खर्च, ये है योजना

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. सड़क पर घूम रहे बेसहारा पशुओं को अब घर मिलेगा. असल में राजस्थान सरकार की ओर से बेघर मवेशियों के लिए घर मुहैया कराने के मकसद से नंदिशाला कार्यक्रम शुरू किया है. जिसके तहत हर पंचायत समिति को इसके लिए 1.57 करोड़ रुपए मुहैया कराए जा रहे हैं. इस पहल के लिए कुल 651.70 करोड़ के बजट का इंतजाम सरकार की ओर से किया गया है. मौजूदा वक्त में, पंचायत समिति स्तर पर 73 नंदिशालाएं बनाई गई हैं. 19 जिलों में, 57 नंदिशालाओं को कुल राज्य योगदान 550.52 करोड़ दिए भी गए हैं.

सरकार की ओर मुहैया कराई गई जानकारी के ​मुताबिक इसके अलावा, राज्य सरकार ने बेसहारा पशुओं (stray cattle) के लिए गौशालाएं स्थापित करने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत को 1 करोड़ आवंटित किए हैं. कहा जा रहा है कि इससे रोड पर घूम रहे बेसहारा पशुओं की समस्या कम होगी. जिससे रोड एक्सीडेंट कम होंगे. वहीं किसानों की भी फसल बर्बादी के मामले रुकेंगे.

चारे के लिए अनुदान की व्यवस्था की
अब तक, 29 जिलों से विभिन्न संगठनों द्वारा 138 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 90 संगठनों का चयन किया गया है, और 38 को प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है. इनमें से 34 संगठनों ने पहले ही संचालन शुरू कर दिया है. 10 संगठनों को 4 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. जिसमें प्रत्येक को राज्य योगदान के रूप में 40 लाख रुपए मिल रहे हैं. राज्य सरकार ने बड़े जानवरों के लिए प्रति दिन 44 और छोटे जानवरों और उनके वंश के लिए प्रति दिन 22 की दर से 270 दिनों के लिए चारा और पानी के लिए अनुदान जारी करने की व्यवस्था भी की है.

नर मवेशियों की संख्या ऐसे होगी कम
इसके अलावा नंदी शालाओं में उनकी देखभाल के लिए 12 महीनों के लिए बैल के लिए अनुदान प्रदान किए जा रहे हैं. पूरे वर्ष के लिए विकलांग, दृष्टिहीन और अंधे मवेशियों के लिए विशेष प्रावधान भी किए गए हैं. वित्तीय वर्ष 2025-26 से, राज्य सरकार ने इस पहल को और मजबूत करने के लिए इन अनुदानों को बढ़ाने का निर्णय लिया है. सड़क पर छोड़े गए नर मवेशियों की समस्या को कम करने के लिए, केंद्रीय सरकार, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत, मवेशियों में कृत्रिम गर्भाधान के लिए सेक्स-छांटे गए सीमेन टेक्नोलॉजी को लागू कर रही है. ये टेक्नोलॉजी सिर्फ मादा बछड़ों के जन्म को सुनिश्चित करती है, जिससे समय के साथ नर मवेशियों की संख्या धीरे-धीरे कम होती है.

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