नई दिल्ली. होली की मस्ती और धमाल के बीच कई बार हम अनजाने में अपने पशुओं को भी लाल, गुलाबी और हरे रंग से रंग देते हैं. लेकिन गाय, भैंस, बकरी, डॉगी या बिल्लियां इन सबके लिए ही रंग को छुड़ाना बहुत मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा होता है. यह कई हफ्ते तक होली वाले रंग में रंगे रहते हैं. एक तरफ जहां रंग हमारे त्योहार में खुशियां पहुंचते हैं, वहीं दूसरी तरफ मवेशियों को यह रंग तकलीफ भी पहुंचाते हैं. इन रंगों से जानवरों को स्किन डिजीज यानि त्वचा संबंधित रोग हो जाते हैं. इसलिए जितना हो सके अपने पशुओं पर रंग फेंकने से बचें और अपने पशुओं को होली के कलर से दूर रखें. यह पशुओं के लिए मददगार भी होगा.
पशु चिकित्सकों का कहना है की रंगों से पशुओं को तकलीफ हो सकती है, इसलिए पालतू और आसपास के रहने वाले पशुओं को रंगने से बचे. इन्हें स्किल की बीमारी हो सकती है, एलर्जी हो सकती है. एक्सपर्ट का कहना है कि अधिकतर कृत्रिम रंगों में सिंथेटिक रसायन भी होते है और अन्य हानिकारक तत्व होते हैं. यह कलर जानवरों की सेंसेटिव स्किन पर खुजली, रैशेज और बाल झड़ने जैसी प्राब्लम पैदा कर देते हैं. पशु अक्सर अपने शरीर को साफ करने के लिए जीभ से चाटते हैं. यदि उनके शरीर पर रंग लगा होगा तो वह जीभ के जरिए उनके पेट में भी चला जाता है, जिससे पेट दर्द, दस्त, उल्टी और विषाक्त जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
नाक कान में भी जलन हो सकती है
यदि रंग आंखों में चला जाए तो उसमें जलन, पानी आना या इंफेक्शन हो सकता है. वहीं नाक में जाने पर पशुओं को सांस लेने में भी दिक्कत आ सकती है. जिससे उनकी हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है.
कानों पर भी प्रभाव
पशुओं के कानों में रंग जाने से इंफेक्शन हो सकता है और उनकी सुनने की क्षमता पर असर पड़ सकता है. यह खासतौर से जो घर के पैट हैं उन्हें बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. कुत्ते और बिल्ली इस समस्या से जूझ सकते हैं.
मानसिक तनाव
मवेशियों पर जबरदस्ती कलर डालने से वे डर ही जाते हैं और असहज महसूस कर सकते हैं. कुछ मवेशी रंगों से घबराकर आक्रामक भी हो जाते हैं और वह तेजी से दौड़ने लगते हैं, उन्हें चोट भी लग सकती है या किसी को और को भी चोट पहुंचा सकते हैं.
अगर रंग लग जाए तब क्या करना चाहिए
होली के दौरान अगर गलती से आपके पैट या आसपास के पशुओं को रंग लग जाए तो आप खुद उनकी मदद कर सकते हैं. अगर पशु आवारा है यानी सड़क पर रहने वाला है तो पहले उसे बांध दें, ताकि वह भागे नहीं. धीरे-धीरे पानी डालकर रंग हटाने की कोशिश करें. रगड़ने की बजाए धीमे हाथों का प्रयोग करें.
कोई इफेक्ट ना पहुंचे तो शैंपू का उपयोग करें
पशुओं का शैंपू उपलब्ध न हो तो बेबी शैंपू को भी पानी में मिलाकर उपयोग कर सकते हैं. इसका इस्तेमाल ध्यान रहे की पानी बहुत ज्यादा गर्म या बहुत ज्यादा ठंडा ना हो क्योंकि पशुओं की स्किन बहुत सेंसिटिव होती है. कलर स्किन से नहीं निकल रहा है तो हल्का नारियल का तेल या सरसों का तेल लगाएं.
धीमे-धीमे साफ करें
तेल रंग को निकालने में हेल्प करेगा और स्किन में नमी देगा. वैसे तो बेसन और दही को मिलाकर हम गाय के शरीर पर लगा सकते हैं और हल्के हाथों से मालिश कर सकते हैं. यह रंग को निकालने में हेल्प करेगा और स्किन में भी मदद करेगा.
यदि पशु की आंखों में रंग चला गया है तो तुरंत साफ पानी से धोएं. कानों में रंग चला गया तो गीले कपड़े से हल्के हाथों से साफ कर दें. पशु रंग चाट ले और वह दिक्कत उसे महसूस हो रही हो तो यह एलर्जी के लक्षण है तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाना है.
होली खेलते समय इन बातों का रखें ध्यान
पालतू को घर के अंदर ही रखें
आप जहां होली खेल रहे हैं वहां आसपास पशु मौजूद न हो इसका भी ध्यान रखें.
अगर पशुओं पर रंग पड़ गया हो, तो उन्हें तुरंत साफ करने की कोशिश करें.
पानी के गुब्बारों से कभी भी पशुओं पर हमला न करें, इससे वह डर सकते हैं.
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