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Milk Production: गृहमंत्री अमित शाह बोले- देश में 6.5 करोड़ डेयरी किसानों को नहीं मिल रहा दूध का सही दाम

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300 करोड़ रुपये की लागत से अनेक किसान कल्याणकारी गतिविधियों की शुरुआत करते गृहमंत्री अमित शाह.

नई दिल्ली. केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत ने 231 मिलियन टन दूध उत्पादन के साथ अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है और हम विश्व में पहले स्थान पर है. हमारा दूध उत्पादन का ग्रोथ रेट 6 फीसदी है, जबकि विश्व में दूध उत्पादन की ग्रोथ रेट दो फीसदी है. ये देश में आठ करोड़ ग्रामीण परिवार रोज दुग्ध उत्पादन करते हैं उनके कारण संभव हो सका है लेकिन इसमें से सिर्फ डेढ़ करोड़ ही सहकारिता क्षेत्र से जुड़े हैं. जिसका मतलब है कि 6.5 करोड़ परिवारों को उचित दाम नहीं मिल रहा है और उनका शोषण हो रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा ये काम है कि आने वाले समय में दूध उत्पादन से जुड़े हुए सभी 8 करोड़ किसान परिवारों को उनकी मेहनत का पूरा पैसा दिलाएं और वे सभी को सहकारिता क्षेत्र जोड़ें.

गुजरात के आणंद में राष्ट्रीय डेयरी विकासबोर्ड (NDDB) के हीरक जयंती समारोह और त्रिभुवन पटेल की जयंती के मौके पर बोलते हुए कहा कि हाल ही में श्वेत क्रांति 2.0 की SOP जारी की गई है. जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा बताए गई किसानों के हितों को लेकर सभी प्रमुख बातों को शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि हम एक लाख नई और मौजूदा डेयरियों को सशक्त करेंगे और इस दूसरी श्वेत क्रांति से मिल्क रूट्स का भी विस्तार होगा. वहीं प्लांट में जो अब मशीनें होंगी वो मेड इन इंडिया वाली होंगी. कार्यक्रम के मौके पर 300 करोड़ रुपये की लागत से अनेक किसान कल्याणकारी गतिविधियों की शुरुआत भी की. इस अवसर पर केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजव सिंह सहित तमाम लोग मौजूद रहे.

5 करोड़ किसानों को मिल रहा है फायदा
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि त्रिभुवन दास एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिनके कर्मठ जीवन की व्याख्या शायद ही कोई कर सकता है. त्रिभुवन दास के कारण ही देश के 5 करोड़ पशुपालक आज चैन की नींद सोते हैं और आज देश के करोड़ों किसान, विशेषकर महिलाएं, समृद्ध हो रही हैं. त्रिभुवन दास ने एक छोटी सी कोऑपरेटिव बनाई जो आज देश के 2 करोड़ किसानों को सहकारिता क्षेत्र के साथ जोड़कर हज़ारों करोड़ रूपए का व्यापार कर रही है. NDDB ने ग्रामीण क्षेत्र और देश के विकास को गति देने के साथ-साथ कृषि को अत्मनिर्भर बनाने का काम किया. त्रिभुवन जी ने NDDB की नींव रखी थी जो आज देश ही नहीं बल्कि विश्व का बहुत बड़ा संस्थान बन गई है. उन्होंने कहा कि 1987 में ये एक संस्था बना और 1970 से 1996 तक ऑपरेशन फ्लड योजना बनाने और इसे लागू कर श्वेत क्रांति में परिवर्तित करने का काम किया.

कोऑपरेटिव के जरिए किसान होता है समृद्ध
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री 1964 में अमूल डेयरी को देखने गये और उन्होंने तय कर लिया कि सिर्फ गुजरात ही नहीं बल्कि पूरे देश के पशुपालकों को इस सफल प्रयोग का फायदा मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि 100 रूपए की शेयर पूंजी से अमूल आज 60 हजार करोड़ का सालाना व्यापार कर रहा है. 1964 में जब लाल बहादुर शास्त्री जी ने NDDB की स्थापना का निर्णय लिया तब किसी को नहीं पता था कि एक दिन यह बीज इतना बड़ा वटवृक्ष बनेगा. NDDB की तरल दूध की बिक्री 427 लाख लीटर प्रति दिन, खरीद 589 लाख लीटर प्रति दिन और राजस्व 344 करोड़ रुयये से बढ़कर 426 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है और शुद्ध लाभ 50 करोड़ रूपये है. उन्होंने कहा कि जब पशुपालन कोऑपरेटिव के माध्यम से होता है तो सिर्फ किसान समृद्ध नहीं होता बल्कि देश के कुपोषित बच्चों के लिए भी काम होता है. अमूल के ज़रिए जो विश्वास खड़ा हुआ है इसने न सिर्फ महिलाओं का सशक्तिकरण किया बल्कि बच्चों को पोषण देकर एक सशक्त नागरिक बनाने की नींव डालने का भी काम किया.

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