नई दिल्ली. पशु क्वालिटी वाला दूध दे और उनकी हेल्थ भी अच्छी बनी रहे, इसके लिए मिनरल मिक्चर दाना पशुओं के लिए बहुत अहम होता है. हालांकि सूखा और हरे चारे के मुकाबले ये दाना बहुत महंगा पड़ता है लेकिन खासतौर पर सर्दियों में एनिमल एक्सपर्ट महंगे दाने के मुकाबले दलहनी रसदार हरा चारा खिलाने की सलाह पशुपालकों को देते हैं. यही वजह है कि कुछ पशुपालक इसके मुकाबले में दलहनी हरा चारा ज्यादा खिलने लगते हैं. इसके चलते पशुओं को पेट संबंधित कई तरह के बीमारी हो जाती है. ऐसे में पशुओं को तकलीफ होती है. साथ में दूध का उत्पादन भी घटने लगता है. इसलिए पशुओं को ज्यादा हरा दलहनी चारा खिलाने से बचना चाहिए. हरा चारा खिलाने पर सूखी चारे की मात्रा को ही बराबर हिसाब से रखना चाहिए. हरा चारा खिलाते वक्त पशुओं पर पूरी निगरानी भी बनाए रखना जरूरी होता है.
पशु के बीमार होने का बढ़ जाता है खतरा
डेयरी एक्सपर्ट चरणजीत सिंह कहते हैं कि हरे चारे में नमी की मात्रा काफी ज्यादा होती है. पशु जब इस दौरान हरा चारा ज्यादा खाता है तो उनपर डायरिया समेत और भी दूसरी बीमारी होने का खतरा मंडराने लगता है. वहीं चारे में मौजूद नमी के कारण दूध की क्वालिटी पर भी बहुत ज्यादा असर पड़ता है. इसलिए बेहद जरूरी है कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि हमारा पशु हरा चारा खा रहा है या बाहर चरने के लिए जा रहा है तो हम उसे पहले सूखा चारा और थोड़ा बहुत मिनरल्स जरूर दे देना चाहिए. सूखा चारा खूब खिलाने से हरे चारे में मौजूद नमी का स्तर सामान्य हो जाता है.
फौरन लें डॉक्टर की सलाह
वहीं मिनरल्स देने से दूध में फैट और दूसरी चीजों का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है. दूध की क्वालिटी भी बेहतर रहती है. पशु कौन सा है और उसकी उम्र कितनी है यह सब बातें देखने के बाद ही उसे हर सूखा चारा और दाना खिलाना चाहिए. दाने की जगह दलहनी हरा चारा खिलाते वक्त इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की मात्रा ज्यादा न हो. अगर ज्यादा हरा चारा खाने से पशु को दस्त हो जाए तो फौरन ही डॉक्टर की सलाह लें. पेट में अफरा हो तो बड़े पशुओं को 500 ग्राम के सरसों के तेल में 50 ग्राम तारपीन का तेल मिलाकर पिलाया जा सकता है. साथ ही दलहनी हरे चारे को थोड़ा सुखाकर खिलाने तो वह नुकसान नहीं करेगा.
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