नई दिल्ली. भारत जैसे देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. ये बात सरकार भी समझती है तभी तो बेरोजगारी दूर करने के ििलए खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में पशुपालन को बढ़ावा देने और ग्रामीण उद्यमी (Rural Entrepreneur) तैयार करने के मकसद से पुनर्गठित योजनाओं पर जोर दिया जा रहा है. सरकार का मानना है कि इसका इसमे अहम रोल रहेगा. पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री संजीव बालियान ने बीते साल हुई राष्ट्रीय सलाहकार बैठक की समीक्षा के दौरान कहा था कि चारा उत्पादन और चारा विकास को भी इस कड़ी में रखा जाना चाहिए. उन्होंने ये जानकारी भी दी कि सरकार सभी तरह के पशुपालन को बढ़ावा देने के साथ ही पोल्ट्री, दूध और मांस उत्पादन को बढ़ाने की योजनाओं पर काम कर रही है.
इस दौरान अफसरों ने भी पशुपालन और दूध उत्पादन से जुड़ा सुझाव दिया था. ये भी बताया कि कैसे कुछ खास क्षेत्रों में काम करके पशुपालन को और ज्यादा मुनाफे का बिजनेस बनाया जा सकता है. जानकारी में रहे कि जुलाई 2022 में राष्ट्रीय सलाहकार समिति का गठन हुआ था और इसी साल अक्टूबर में इसकी पहली बैठक का आयोजन किया गया था. इसमें इस बात की चर्चा हुई कि कैसे ग्रामीण पशुपालन को बढ़ावा दिया जाए. बेरोजगारों को कैसे पशुपालन और चारा उत्पादन से जोड़कर उन्हें रोजगार मुहैया कराया जाए. वहीं ग्रामीण उद्वामी कैसे तैयार किया जाए और पुनर्गठित योजनाओं पर काम किया जाए. वहीं बैठक में राष्ट्रीय सलाहकार समिति लगातार अपने सुझाव मंत्रालय बताती रही.
फार्म चलाने की योजना पर काम
इस दौरान डॉ. मुकुल आनंद ने कहा कि जो बकरी फार्म दूध पर काम कर रहे हैं उन्हें ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाए. जो लोग कारोबार के लिहाज से बकरी फार्म खोल रहे हैं उन्हें लम्बे वक्त तक चलाने को लाइव स्टाक मिशन से जोड़े जाने की जरूरत है. इसके लिए योजना बनाने पर उन्होंने जोर दिया. इसके अलावा विनायक नरवड़े ने खासतौर से बकरियों में लगने वाले टीकाकरण कार्यक्रम से जुड़ी समस्यालओं के मसले को बैठक में जोर—शोर से उठाया. इसके अलावा मीटिंग में मुर्गी पालन, भेड़, बकरी और सुअर पालन पर भी बल दिया गया. समिति का ऐसा मानना है कि इससे बेरोजगारी दूरी होगी और कम लागत का होने के चलते ग्रामीण पशुपालन भी बढ़ेगा.
चारा उत्पादन को लेकर क्या हुआ
बैठक में मौजूद प्रभाकर बाबू ने चारा विकास और उत्पादन पर जोर दिया. उन्होंने बैठक के दौरान कहा कि इससे जुड़ी कई योजनाओं पर काम करने की सख्त जरूरत है. चारे के बीज पर काम हर हाल में होना चाहिए. गौरतलब रहे कि आजकल चारे पर खूब काम हो रहा है. साइलेज और पैलेट्स तैयार कर हरे चारे को स्टोर करने के बेहतर विकल्प पर भी काम हो रहा है. ताकि पशुओं को सालभर तक हरा चारा उपलब्ध कराया जा सके. क्योंकि जब पशु क्वालिटी वाला चारा खाएंगे तो उनके मीट और दूध भी क्वालिटी वाले होंगे.
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