नई दिल्ली. पशुपालन करके बहुत से किसान अपनी आय दोगुनी कर रहे हैं. सरकार भी चाहती है कि पशुपालन के जरिए किसानों की आय दोगुनी हो जाए. पशुपालन करने वाले पशुपालकों को मौसम के लिहाज से पशुओं का किस तरह से ख्याल रखना है इसकी जानकारी होनी चाहिए. मसलन, इन दिनों गर्मी है तो गर्मी में पशुओं का ख्याल कैसे रखा जाए. पशुओं को गर्मी के दिनों किस चीज की जरूरत होती है. उनकी केयर के दौरान क्या—क्या सावधानी बरती जाए, इन सबसके बारे में मालूम होना जरूरी है.
वहीं पशुपालकों को इसके अलावा कुछ और जिम्मेदारी निभानी चाहिए. गर्मी के दौरान पशुओं के लिए प्रयाप्त हरा चारा उपलब्ध कराना चाहिए. साइलेज की व्यवस्था करनी चाहिए. पानी की व्यवस्था करनी चाहिए. गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए जल स्टेशन आदि की व्यवस्था करनी चाहिए.
हरा चारा: पर्याप्त हरा चारा उपलब्ध कराएं. हरा चारा आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है.
जलयोजन, और उनके समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है. यह नमी और विटामिन से भरपूर है, जो मदद करता है.
बुआई: पशुपालकों को मूंग, मक्का, बारहमासी घास, लोबिया, बरबटी आदि की बुआई करनी चाहिए. गर्मी के मौसम में हरे चारे के लिए मार्च, अप्रैल में दिक्कत होती है.
चारे की कटाई: हरे चारे की कटाई 50% फूल आने की अवस्था पर की जानी चाहिए. अधिशेष हरा गर्मियों के दौरान या जब उपयोग के लिए चारे को ‘घास’ या ‘साइलेज’ के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए. हरा चारा दुर्लभ है.
खनिज और नमक: आहार में खनिज मिश्रण और सामान्य नमक शामिल करें.
जागरूकता: पशुओं में गर्मी के तनाव के प्रबंधन पर किसानों के लिए जागरूकता अभियान चलाना सामुदायिक बैठकों, प्रशिक्षण सत्रों और विभिन्न मीडिया चैनलों के माध्यम से.
सार्वजनिक सहयोग: जनता को अपने घर के बाहर चौड़े मुंह वाले पानी के कंटेनर रखने के लिए प्रोत्साहित करें, प्यासे जानवरों और पक्षियों के लिए घर की व्यवस्था करें.
आपातकालीन उपाय:
सतर्कता: जानवरों में गर्मी के तनाव के लक्षणों के प्रति सतर्क रहें और उन्हें तुरंत ले जाएं लक्षण दिखाई देने पर छायादार, ठंडे स्थान.
पशु चिकित्सा देखभाल: यदि कोई सुधार न हो तो पेशेवर पशु चिकित्सा सहायता लें
पशु चिकित्सा आपूर्ति: सुनिश्चित करें कि पशु चिकित्सा सुविधाओं में आवश्यक दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति हो, तरल पदार्थ, और इलेक्ट्रोलाइट्स, और आवश्यकतानुसार आपूर्ति देने के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयाँ तैयार करें.
बाहरी सहायता: सहायता के लिए जिला अधिकारियों, गैर सरकारी संगठनों और पशु कल्याण समूहों से संपर्क करें. अस्थायी जल स्टेशन स्थापित करने और जानवरों पर गर्मी के प्रभाव को कम करें.
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