नई दिल्ली. मछली पालन में भी अच्छी खासी कमाई की जाती है. यही वजह है कि सरकार भी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कोशिशें कर रही है. अगर आप भी मछली पालन से कमाई करना चाहते हैं तो जरूरी है कि मछली पालन से जुड़ी तमाम अहम जानकारियां कर लें. मसलन मछली बीज कब डालना है. फीड की मात्रा आदि. एक्सपर्ट का कहना है कि मछली पालन फर्टिलाइजर्स का भी अहम रोल होता है. इससे मछली पालन में प्रोडक्शन पर असर पड़ता है. कोई भी मछली पालक है तो वो चाहेगा कि ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हासिल करे. इसके लिए जरूरी है कि उसे ये भी पता हो कि फर्टिलाइजर्स का कितना और कब इस्तेमाल करना है.
एक्सपर्ट का कहना है कि मत्स्य उत्पादन को बढ़ाने के लिए तालाब के मिट्टी और पानी में पाये जाने वाले आवश्यक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए ही फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल किया जाता है. इससे मछलियों की ग्रोथ तेजी से होती है और उत्पादन भी ज्यादा होता है. इस वजह से फसल जल्दी तैयार होती है और इससे मुनाफा भी अच्छा होता है.
रसायनिक खाद कब डालें
फिश एक्सपर्ट के मुताबिक जैविक खाद के उपयोग के 15 दिन के बाद रसायनिक खाद के मिश्रण का छिड़काव करना चाहिए. इससे मछली पालन में फायदा होगा. वहीं तीन साल से ज्यादा पुराने तालाब में यूरिया का प्रयोग नहीं करना चाहिए. चूना का इस्तेमाल हमेशा जैविक एवं रसायनिक उर्वरक के प्रयोग से 1-2 दिन पहले कर लेना चाहिए. अगर तालाब के पानी का रंग हरा जो जाए तो रसायनिक खाद का प्रयोग करना बंद कर देना चाहिए, लेकिन पानी का रंग साफ होने पर रसायनिक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए. विपरीत परिस्थिति में कम तापमान, बादल, कुहासा इत्यादि की स्थिति में खाद का प्रयोग बन्द कर देना चाहिए.
क्या-क्या तालाब में डालना चाहिए
एक्सपर्ट कहते हैं कि तालाब में चूना भी डाला जाता है. हर साल अगर एक हेक्टेयर का तालाब है तो 300 से 500 प्रोग्राम चूना डालना चाहिए. जैविक खाद के तौर पर मवेशी का गोबर हर साल एक हेक्टेयर में 10 टन डालना चाहिए. गोबर न डाला जाए तो वर्मी खाद हर साल एक हेक्टेयर में कम से कम 5 टन डाली जा सकती है. रासायनिक खाद में यूनिया 1 हेक्टेयर में 100 से 250 किलोग्राम हर साल डालना चाहिए. सुपर फास्फेट हर साल 150 से 200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए. म्यूरेट पोटाश हर साल एक हेक्टेयर में 80 से 200 किलोग्राम डालना चाहिए.
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