Home डेयरी Milk Production: जानें गर्मियों में एक डिग्री तापमान बढ़ने से कितना कम हो जाता है दूध उत्पादन
डेयरी

Milk Production: जानें गर्मियों में एक डिग्री तापमान बढ़ने से कितना कम हो जाता है दूध उत्पादन

हरित प्रदेश मिल्क प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन सदस्यों को बोनस का तोहफा दिया जा रहा है.
प्रतीकात्मक फोटो. livestock animal news

नई दिल्ली. ये बात तो साबित है कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है दूध उत्पादन कम हो जाता है. बढ़ता तापमान डेयरी में उत्पादन और उत्पादकता को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है. इसके चलते दूध उत्पादन में भारी कमी देखने को मिलती है. जबकि इससे डेयरी की स्टेबिलिटी प्रभावित हो जाती है, जिसमें 70% से अधिक महिलाओं की भागीदारी है. एक्स्पर्ट कहते हैं कि औसतन एक डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने से दूध उत्पादन में 5-10% की कमी आती है. ऐसा अनुमान है कि गर्मी से पहले की तुलना में राज्य में दूध का उत्पादन 30% तक कम हो गया है.

केरल पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय सेतुमाधवन के पूर्व निदेशक डॉ. टी.पी. कहते हैं कि चिलचिलाती धूप, जलवायु परिवर्तन, भूमि पर बढ़ता दबाव, पानी की कमी आदि इस सिचुएशन को और ज्यादा खराब कर देगी. उनका कहना है कि उत्पादन की लागत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. हरे चारे सहित चारे की कमी भी देखने को मिल रही है. वहीं सांद्रण मिश्रण की बढ़ती कीमत ने दिक्कतों को और ज्यादा बढ़ा दिया है. कामर्शियल डेयरी फार्म और इंटरप्रेनोरियल इंटरपाइजेज के साथ भी मुश्किल है.

250 करोड़ रुपये का हर महीने नुकसान
डॉ. सेतुमाधवन ने कहा कहा कि कि आमतौर पर, अगर किसान सीधे सहकारी समितियों को तरल दूध बेच रहे हैं तो उन्हें अन्य इंटरप्राइजेज की तुलना में डेयरी के माध्यम से निवेश पर 10 फीसदी से कम रिटर्न मिलता है, लेकिन जो लोग सीधे दूध का विपणन करने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें निवेश पर 20 फीसदी तक का रिटर्न मिल सकता है. वहीं उत्पादन में भारी कटौती से राज्य में टिकाऊ डेयरी उत्पादन प्रभावित होने लगा है. दूध उत्पादन में 30 फीसदी की कमी से राज्य में डेयरी क्षेत्र को 250 करोड़ रुपये का मासिक नुकसान हो सकता है,

ये है इस समस्या का हल
उन्होंने कहा कि इन मुद्दों के समाधान के लिए, किसानों को वैज्ञानिक ग्रीष्मकालीन प्रबंधन प्रथाओं का पालन करने की आवश्यकता है. इसमें पूरे दिन पर्याप्त पानी की आपूर्ति, पशु शेड में वेंटिलेशन की सुविधा, धुंध प्रणाली और पंखे प्रदान करना, स्वच्छ दूध उत्पादन प्रथाएं, दिन में 3-4 बार पशु पर पानी छिड़कने के उपाय और हरा चारा उपलब्ध कराने के प्रावधान शामिल हैं. उन्होंने नियमित रूप से विटामिन ए की खुराक लेने का सुझाव दिया.

साइंटफिक तरीके से दूध लें किसान
उन्होंने इस समस्या को लेकर आगे कहा कि “सांद्रित चारा और पानी अलग से उपलब्ध कराया जाना पशुओं के लिए बेहद जरूरी है. दिन के समय मवेशियों को चरने नहीं देना चाहिए, लेकिन उन्हें पेड़ों के नीचे आश्रय दिया जा सकता है. ताकि उनपर तापमान का ज्यादा असर न हो. मास्टिटिस की घटनाओं को कम करने के लिए वैज्ञानिक दूध देने की प्रथाओं का पालन किया जाना चाहिए. विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट जरूर देना चाहिए.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

हरित प्रदेश मिल्क प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन सदस्यों को बोनस का तोहफा दिया जा रहा है.
डेयरी

Milk: 2033 से हर साल भारत को चाहिए होगा इतने करोड़ लीटर दूध, अभी है बहुत पीछे

भारत 1998 से दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में...

साहलेज हरे चारे का एक वैकल्पिक स्रोत है, जिसे किसी भी अन्य सूखे चारे, हरे चारे और पशु आहार के साथ मिश्रित करके पशुओं को खिलाया जा सकता है.
डेयरी

Dairy Milk: इन हरे चारों से बढ़ाएं गर्मियों में दूध, जानें दहलनी फसलों से तैयार हे का रोल

साहलेज हरे चारे का एक वैकल्पिक स्रोत है, जिसे किसी भी अन्य...

हे बनाने के लिए हरे चारे को अच्छी प्रकार और समान रूप से सुखाना बहुत जरूरी होता है.
डेयरी

Green Fodder: जानें हे बनाने की सही विधि, दुधारू पशुओं को मिलेगा भरपूर दूध

हे बनाने के लिए हरे चारे को अच्छी प्रकार और समान रूप...