नई दिल्ली. पशुपालन में साल भर चारी की व्यवस्था करना पशुपालकों के लिए एक बड़ी समस्या है. खास तौर पर उन इलाकों में जहां चारों की कमी है. पहाड़ी इलाकों में हमेशा हरा चारा उपलब्ध नहीं होता है. इस वजह से वहां के पशुपालकों को अपने पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने में दिक्कत होती है. इसी विषय पर आईवीआरआई मुक्तेश्वर परिसर के सहयोग से और उत्तराखंड के पशुपालन विभाग की तरफ से चलाए जा रहे राज्य पशुधन मिशन योजना के तहत एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहाड़ी इलाकों में पशुओं के लिए कैसे हरा चारा बढ़ाया जाए इस पर एक्सपर्ट ने अपनी राय रखी.
पशुधन रोग प्रबंधन” पर दो दिवसीय हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहाड़ी क्षेत्रों में का आयोजन आईसीएआर-आईवीआरआई, मुक्तेश्वर परिसर के सहयोग से किया गया था. इस दौरान कुल नैनीताल के विभिन्न ब्लॉकों 20 लाभार्थी पशुधन मालिक और उद्यमी कार्यक्रम में आए. डॉ. सिद्धार्थ गौतम, डॉ. अमोल गुरव और डॉ. नितीश सिंह खरायत द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया. डॉ. बी. मंडल (संयुक्त-निदेशक, आईवीआरआई, मुक्तेश्वर), डॉ. पी.एस. हयांकी, (उप मुख्य पशुचिकित्सक) अधिकारी, नैनीताल, राज्य पशुपालन विभाग, उत्तराखंड), और डॉ. चित्रा जोशी (पशुचिकित्सा) और अधिकारी, भियालगाँव, नैनीताल)। प्रशिक्षण में व्याख्यान में मुख्य से मौजूद रहे.
विस्तार से इन विषयों पर हुई चर्चा
पर्वतीय क्षेत्रों में पशुधन रोगों का प्रबंधन, लम्पी का निदान और रोकथाम, त्वचा रोग और पीपीआर, पशुओं में टीकाकरण और कृमि मुक्ति का महत्व, रोकथाम,प्रमुख पशुधन परजीवी रोग, पशुधन के प्रमुख जीवाणु रोग, रोकथाम और नियंत्रण, एफएमडी का, पहाड़ी क्षेत्रों में चारा बढ़ाने में कृषि वानिकी की भूमिका, नवजात शिशु का प्रबंधन और पशुधन में प्रजनन संबंधी विकारों के बारे में विस्तार से इस दौरान चर्चा की गई. एक्सपर्ट ने पशुओं में दवाओं को मौखिक रूप से देने और शरीर का तापमान मापने आदि के बारे में बताया.
बकरी फार्म के बारे में दी जानकारी
प्रायोगिक मवेशी झुंड और प्रायोगिक बकरी फार्म, सुरमाने का भी संचालन किया गया. आईवीआरआई, मुक्तेश्वर के वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञ व्याख्यान लिये गये. प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन समारोह 13 मार्च को हुआ और सिद्धार्थ गौतम ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की दैनिक गतिविधियों का सारांश प्रस्तुत किया. प्रशिक्षण कार्यक्रम के संरक्षकों ने टीम और प्रतिभागियों को सफल होने के लिए बधाई दी. प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन. इसमें सुधार के लिए प्रतिभागियों से फीडबैक लिया गया.
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