नई दिल्ली. इन दिनों ठंड का कहर जारी है. पारा लुढ़कर 10 डिग्री के नीचे तक चला जा रहा है. ऐसे में जहां आम इंसानों को ठंड लग रही है तो वहीं यह ठंड पशुओं के लिए भी नुकसान पहुंचाने वाली है. जिस तरह से मनुष्य को ठंड से बचने की जरूरत होती है तो उसी तरीके से पशुओं को भी ठंड से बचाने की जरूरत होती है. यदि उन्हें ठंड लग गई तो इससे वह बीमार पड़ जाएंगे और प्रोडक्शन पर भी असर पड़ेगा. जिसका नुकसान पशुपालकों को होना लाजमी है.
पशुओं को पानी जरूर पिलाएं
एक्सपर्ट कहते हैं कि सर्दी में पशुओं को सिर्फ हरा चारा खिलाने से अफारा व अपचन भी हो सकता है. ऐसे में पशुओं को हरा चारा के साथ सूखा चारा देना जरूरी होता है. पशुओं का सर्दी के मौसम में गुनगुना, ताजा व स्वच्छ पानी भरपूर मात्रा में पिलाने की जरूरत होती है. क्योंकि पानी से दूध बनता है और सारी शारीरिक प्रक्रिया में पानी का अहम योगदान रहता है. ठंड के मौसम में एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुपालकों को संतुलित आहार देना चाहिए. आहार में ऊर्जा, प्रोटीन, खनिज तत्व, विटामिन व वसा आदि पोषक तत्व मौजूद होने चाहिए. ठंड के दिन में पशुओं के खानपान, दूध निकालने के समय एक ही रखना चाहिए.
इस तरह से देना चाहिए चारा
पशु चिकित्सा के मुताबिक मौसम में अंदर बाहर के तापमान में अंतर होता है. पशु के शरीर का सामान्य तापमान विशेष तौर पर गाय-भैंस का 101.5 डिग्री फारेनहाइट होता है. जबकि सर्दी में घर के बाहर का तापमान कभी भी शून्य तक चला जाता है. यानी पाला तक जम जाता है. ऐसे में पशुधन को बचाने के लिए पशु का बिछावन की मोटाई, खिड़कियों पर बोरी, टाट आदि का विशेष ध्यान देना चाहिए. वहीं पशुओं को ठंड में के मौसम में कभी भी ठंडा चारा नहीं देना चाहिए. क्योंकि पशुओं को ठंड लग जाती है. ठंड से बचाव के लिए पशुओं को हरा चारा एक से तीन के अनुपात में मिलाकर मिलाकर देना चाहिए.
पशुशाला में इन बातों का रखें ध्यान
ठंड के मौसम में पशुपालकों को पशुओं के आवास प्रबंधन का विशेष ध्यान देना चाहिए.. पशुशाला के दरवाजे पर खिड़कियों पर बोरे लगाकर सुरक्षित करना चाहिए. जहां पशु विश्राम करते हैं वहां पर भूसा, पेड़ों की पत्तियां जरूर बिछाना चाहिए. ठंड में ठंडी हवा से बचाव के लिए पशु शाला की खिड़कियों दरवाजे तथा अन्य खुली जगह पर बोरी टांग देना चाहिए. सर्दी में पशुओं को सुबह 9 बजे से पहले और शाम को 5 बजे के बाद पशुशाला से बाहर न निकलना चाहिए.
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