Home पशुपालन Animal Disease: लम्पी स्किन डिजीज से कैसे अपने पशुओं को बचाएं, इन 8 प्वाइंट्स में पढ़ें यहां
पशुपालन

Animal Disease: लम्पी स्किन डिजीज से कैसे अपने पशुओं को बचाएं, इन 8 प्वाइंट्स में पढ़ें यहां

दो महीने का टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, जिससे रोग के प्रसार को समय रहते रोका जा सके.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. यह एक वायरस से होने वाली बीमारी है. जिसमें मवेशियों के शरीर पर गांठे बन जाती हैं और इनमें मवाद (पस) आ जाता है. जिससे पशुओं की मौत तक हो जाती है. यह बीमारी L.S.D.V. वायरस द्वारा पशुओं में फैलती है जो पॉक्सविरिडे कुल के कैप्रिपॉक्स’ वंश का एक वायरस है. ये रोग गाय व भैंस को आमतौर पर अपनी चपेट में लेता है और खून चूसने वाले मक्खी, मच्छर, चिंचड़ जूं से फैलता है. यह बीमारी इंसानों नहीं फैलती लेकिन एक संक्रमित पशु से दूसरे पशु में बहुत तेजी से फैलती है. इस बीमारी के कारण पशुपालन उद्योग को दूध की पैदावार में कमी, गायों और सांडों के बीच प्रजनन क्षमता में कमी, गर्भपात, क्षतिग्रस्त त्वचा और खाल, वजन में कमी या वृद्धि और कुछ कुछ मामलों में असामयिक मृत्यु भी देखी जा रही हैं.

इस बीमारी के हमले में सबसे पहले मवेशी के शरीर में गांठ बनती है. फिर जख्म बड़े होते जाते हैं. जिसके बाद उस जख्म का इलाज न किया जाए तो उसमें कीड़े लग जाते हैं, जो गाय बेल को कमजोर कर देते हैं. इसलिए जरूरी है कि बीमार होते ही पशुओं का उपचार किया जाए. ताकि बीमारी न फैले. वहीं साफ सफाई के साथ ही बीमार मवेशी को दूसरे जानवरों से अलग रखना चाहिए. क्योंकि यह एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलने वाला रोग हैं. अगर आप इस बीमारी के बचाव के बारे में जानना चाहते हैं तो आखिरी तक खबर को पढ़ें

बचाव का क्या है तरीका

  1. सबसे पहले पशुओं की साफ सफाई का ध्यान रखें जिसमें मक्खियां, मच्छर, चिंचड़, जूं इत्यादि को पशुशाला में नहीं आए इस प्रकार का प्रबंधन करें.
  2. बीमार पशु को अन्य पशु से अलग रखें और इसके खानपान का इंतेजाम भी अलग करें और डॉक्टर से इलाज करवाएं.
  3. बीमार पशु के शरीर से निकलने वाले स्त्राव जैसे आंख और नाक के स्त्राव, पेशाब, गोबर, दूध, संक्रमित पानी व चारे को दूसरा पशुओं के संपर्क में नहीं आने दे वरना उनको वह बीमारी हो सकती है.
  4. अच्छी बात यह हैकी यह बीमारी इंसानों में नहीं फैलती लेकिन साफ सफाई नहीं रखने के कारण मनुष्य इसमें वाहक का काम करता हैं.
  5. पशुओं के फार्म में सख्त जैव सुरक्षा उपायों को अपनाएं.
  6. पशुओं को यह बीमारी कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण होती है. पशुओं का इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए हर दिन पशुओं को 25 से 50 ग्राम आंवला, तुलसी के पत्ते, हल्दी 10 ग्राम एवं गिलोय देनी चाहिए.
  7. पशु के शरीर पर होने वाले घाव पर पशुपालक नीम का तेल 50 मि ली, कपूर और हल्दी मिला करके लगा सकते हैं.
  8. इसके अलावा पशु के घाव को सुबह शाम लाल दवा के पानी से धोना चाहिए.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: अलग-अलग फार्म से खरीदें पशु या फिर एक जगह से, जानें यहां

फार्मों में अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए संक्रमण के प्रवेश...

livestock animal news
पशुपालन

Milk Production: ज्यादा दूध देने वाली गायों को हीट से होती है परेशानी, जानें क्या है इसका इलाज

उच्च गुणवत्ता-युक्त अधिक दूध प्राप्त होता है, लेकिन ज्यादा तापमान युक्त हवा...

ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं.
पशुपालन

Animal Husbandry: बरसात में पशुओं को इस तरह खिलाएं हरा चारा, ये अहम टिप्स भी पढ़ें

बारिश के सीजन में पशुओं को चारा नुकसान भी कर सकता है....

पशुपालन

CM Yogi बोले- IVRI की वैक्सीन ने UP में पशुओं को लंपी रोग से बचाया, 24 को मिला मेडल, 576 को डिग्री

प्रदेश सरकार के साथ मिलकर 2 लाख से अधिक कोविड जांच करवाईं....