नई दिल्ली. मछली पालन के लिए सरकार भी मदद कर रही है और इसके जरिए किसानों की आय को दोगुना करना चाहती है. तभी तो समय-समय पर सरकार सब्सिडी आदि देकर मछली पालकों को बढ़ावा दे रही देती है. क्या आपको पता है कि तालाब के अलावा प्लास्टिक टैंक में भी मछली पालन किया जा सकता है. ऐसा करके भी हजारों में कमाई कर सकते हैं, यदि आप भी टैंक के जरिए मछली पालन करना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए है. प्लास्टिक टैंक में किस तरह से मछली पालन किया जाए यहां जानते हैं.
पांच टैंक को आपस में जोड़ दिया जात है
तालाब के लिए पर्याप्त जगह की कमी के कारण जब घर में प्लास्टिक टैंक के बनाकर मछली पालन की व्यवसाय को बढ़ाया जाता है. मत्स्य पालन के इस पद्धति में 1000 स्क्वायर मीटर की जगह की जरूरत होती है. इसे आप जरूरत के अनुसार घरों की छतों पर भी रखकर मछली पालन के व्यवसाय कर सकते हैं. इस प्रकार मछली पालन में 2000 लीटर वाली प्लास्टिक टैंक को एक दूसरे के साथ जोड़ दिया जाता है. इस तरह आप एक से लेकर पांच टैंक का इस्तेमाल कर मिश्रित मछली को पालकर भी कर सकते हैं.
3 इंच वाली सीड डाली जाती है
पहले वाले टैंक में मछली की फिंगरलिंग यानी 3 इंच वाली सीड डाली जाती है. इससे निकलने वाले पानी को दूसरी वाले टैंक में जमा किया जाता है. इस टैंक में देसी कार्प यानी कत्ला, रोहू और मृगल की फिंगरलिंग सीड डाली जाती है. तीसरे टैंक में विदेशी कॉर्प यानी ग्रास, सिल्वर कार्प की फिंगर्लिंग सीड डाली जाती है. इसके बाद वाली टैंक का इस्तेमाल फ्रेश वाटर के लिए किया जाता है. इस तरह से प्लास्टिक टैंक में भी मछली पालन का व्यवसाय किया जाता है.
कितने दिनों में मछली का वजन 1 किलो होता है
जो लोग मछली पालन व्यवसाय करते हैं, उनका अक्सर यही प्रश्न होता है कि आखिर मछली का बीज कितने दिनों में 1 किलो का हो जाता है. जो लोग लंबे समय से मछली पालन कर रहे हैं. उन्हें तो इस बारे में पहले से पता कि लेकिन जो लोग नए हैं वह जल्दी मुनाफा कमाने के चक्कर में अक्सर इस तरह के प्रश्नों का हल ढूंढने का प्रयास करते हैं.
खान-पान का रखें ख्याल
उन लोग यहां जान लें कि जनवरी मछली के बीज में डाल रहे हैं तो कम से कम 9 महीने बाद एक मछली एक किलो की हो जाती है, लेकिन कभी-कभी देखा गया है कि 1 साल से अधिक का समय हो जाता है लेकिन मछली 1 किलो के वजन की नहीं हो पाती है. इसका कारण है कि मछलियों को सही तरीके से देखभाल नहीं की जाती. उन्हें समय पर खान-पान से संबंधित सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती हैं.
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