नई दिल्ली. बकरी पालन वैसे तो बहुत ही फायदेमंद व्यवसाय बनता जा रहा है लेकिन बकरियां में होने वाली बीमारियां इस व्यवसाय को नुकसान भी पहुंचती हैं. सबसे ज्यादा बीमारी का असर बकरी के बच्चों पर होता है. क्योंकि एक बार बकरी के बच्चे को बीमारी लग जाती है तो उसकी मौत भी हो जाती है. बकरी की बच्चों ज्यादा ठंड ज्यादा गर्मी दोनों ही मौसम में बहुत ही हिफाजत करनी होती है. उसका ख्याल रखना होता है यदि लापरवाही बरती गई तो इसका नुकसान पशुपालक होता है.
दस्त की बीमारी ऐसे करें इलाज
बकरी के बच्चों में आम बीमारी के तौर पर पेट दर्द, दस्त, खिंचाव, पैरो में सूजन, मुंह से पानी आना, होठों में जीब पर छाले अमोनिया आदि हैं. बकरी के बच्चे में दस्त की बीमारी से सबसे अधिक पाई जाती है. इस बीमारी की समस्या का इलाज न कराया जाए तो बकरी के बच्चे की मौत भी हो जाती है. इससे बकरी पालने वाले को अधिक नुकसान होता है. दस्त की बीमारी में बकरी के बच्चे को आप बायोट्रिम टैबलेट और सीफ्लॉक्स टीजेड की टेबलेट दे सकते हैं. इससे दस्त को रोका जा सकता है. यदि बच्चों को बहुत ज्यादा दस्त आने लगे हैं तो बायोट्रिम का इंजेक्शन लगवाएं इसे जल्दी आराम मिलेगा.
इन बीमारियों में क्या करें.
बकरी के बच्चों में दौरे की शिकायत होती है तो आप उनको न्यूरोसिन एमवेट और फास्फोरस इंजेक्शन का 5 से 7 एमएल तीन से लेकर 5 दिन तक लगातार दे सकते हैं. इसके अलावा लिक्विड में आप बकरी के बच्चे को विजेस्ट 20 एमएल प्रतिदिन 20 दिन तक देते हैं देना चाहिए. अगर बकरी के बच्चे 3 से 5 महीने के हैं तो उसे चारे दाने के साथ-साथ हरी पत्तियों में खिलानी चाहिए. यदि बच्चा 11 से 12 महीने का है तो उसे 60% सूखा और 40% दाना देना चाहिए. अगर बकरी के पेट में दर्द है, तो उन बच्चों को कोलीबैन डीपी की टैबलेट देना चाहिए. आधी बच्चों को दे सकते हैं. अगर उसके बाद भी आराम नहीं हुआ तो बच्चे को स्पासडिक का इंजेक्शन लगवाना चाहिए.
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