Home पशुपालन Goat Farming: हैदराबाद की ये बकरी पालें तो लाखों में होगी कमाई, पढ़ें इसकी खासियत
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Goat Farming: हैदराबाद की ये बकरी पालें तो लाखों में होगी कमाई, पढ़ें इसकी खासियत

hyderabadi cross pathiraa
प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. बकरी को पहले गरीबों की गाय कहा जाता था. ज्यादातर गरीब लोग बकरी पालन करते थे लेकिन अब बकरी पालन गरीबों को अमीर बना रहा है. बस जरूरत इस बात की है कि हम सही नस्ल की बकरी को पालें और अच्छी तरह से उनकी देखभाल करें. ऐसा करने से बकरी से भी खूब कमाई की जा सकती है. ज्यादातर लोग बकरी पालन में बकरी को मीट के लिए बेचकर कमाई करते हैं. हालांकि अब बकरी का दूध भी काफी कीमती होता जा रहा है. इसे बेचकर भी काफी कमाई हो रही है.

बकरियों की बहुत सी नस्ल है लेकिन इसमें हैदराबादी क्रॉस पतिरा बहुत ही खास है. ये नस्ल गुजरात की पतिरा और हैदराबादी बकरी की नस्ल से मिलकर बनाई गई है. इसमें हैदराबादी बकरा होता है और पतिरा बकरी होती है. इससे जो ब्रीड तैयार होती है, उसे हैदराबादी क्रॉस पतिरा कहते हैं. इस नस्ल के बकरे और बकरी सफेद पर गुलाबी रंग लिए होते हैं और इनके कान बहुत ही लंबे होते हैं. वहीं इस नस्ल की बकरी को पाला जाए तो ये काफी अच्छी इनकम करा सकती हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि इनका वेट बहुत ज्यादा होता है. इसलिए ये बढ़िया नस्ल मानी जाती हैं.

100 किलो तक हो जाता है वजन
आमतौर पर यह बकरी दो बच्चे देती है और बच्चों के लिए इसका दूध भी पूरा हो जाता है. हालांकि इतना दूध नहीं निकलता कि उसे दूसरे काम में लिया जाए. सिर्फ बच्चों के पीने के इस्तेमाल के लिए रहता है. इस नस्ल के बकरी और बकरे अच्छी हाइट के होते हैं. इनकी लंबाई तकरीबन 38 इंच तक जाती है. अगर बकरे के वेट की बात की जाए तो आमतौर पर इसका वेट 100 किलो के आसपास रहता है. सबसे अच्छी बात ये है कि इतना वजन हासिल करने के लिए सिर्फ डेढ़ साल का ही वक्त लगता है. वहीं इसके बच्चे 3 महीने के होने तक 10 से 15 किलो तक वजन हासिल कर लेते हैं.

45 हजार रुपये तक लगती है कीमत
कमाई की बात की जाए तो 3 महीने तक के बच्चे आठ हजार रुपये तक आसानी से बिक जाते हैं. जबकि अच्छी ग्रोथ हासिल करने वाले बच्चों का 45 हजार रुपये तक दाम मिल जाता है. हालांकि इनका इस्तेमाल ब्रीडर के तौर पर किया जाता है. इनके खानपान पर गौर करें तो तीन टाइम डाइट दी जाती है. सुबह के समय मिक्स चारा दिया जाता है, जिसमें हरी पत्तियां भी शामिल होती हैं. जिसमें गेहूं और जौ भी दिया जाता है. शाम को मिक्स दाना दिया जाता है. जिसमें चने के छिलके रहते है. वहीं दोपहर में भी हरी पत्ती दी जाती हैं. इस तरह के चारे को इस नस्ल के बरकी और बकरे बहुत ही चाव से खाते हैं.

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