नई दिल्ली. वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग ने संयुक्त रूप से चलाये गए बचाव अभियान में, आगरा के पिनाहट क्षेत्र स्थित पलोखरा गांव से करीब 5 वर्षीय मादा लकड़बग्घा को सफलतापूर्वक खेत में लगे तार में उलझने के बाद बचाया. लकड़बग्घे को सुरक्षित रूप से बचाने में करीब एक घंटे का समय लगा, जिसके बाद उसे वापस उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया. पलोखरा के चिंतित ग्रामीणों ने खेती के क्षेत्र में तार की बाड़ में फंसी हुई एक मादा लकड़बग्घा को देखा. इसकी सूचना उन्होंने तत्काल निकटतम उत्तर प्रदेश वन विभाग को दी, जिन्होंने सहायता हेतु वाइल्डलाइफ एसओएस से उनकी आपातकालीन हेल्पलाइन (+91 9917109666) पर संपर्क किया.
विशेष रेस्क्यू उपकरणों से लैस, वाइल्डलाइफ एसओएस की तीन सदस्यीय टीम इस चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू मिशन को संभालने के लिए स्थान पर पहुंची. टीम ने धीरे-धीरे जानवर के गर्दन के चारों ओर जकड़े हुए तारों को काट कर उसे मुसीबत से बाहर निकाला. इसके बाद, एनजीओ की पशु चिकित्सा टीम ने लकड़बग्घे का स्थान पर ही चिकित्सकीय परीक्षण किया. रिलीज़ के लिए स्वस्थ पाए जाने पर, जानवर की स्वतंत्रता और कल्याण को सुनिश्चित करते हुए उसको वापस उसके प्राकृतिक आवास में फिर से रिहा कर दिया गया.
तारबंध जानवरों क लिए बड़ा खतरा
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण, ने कहा, उत्तर प्रदेश वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस के बीच साझेदारी, वन्यजीवों की रक्षा में महत्वपूर्ण है. गांवों के आस-पास तारबंध जैसी समस्याएं जंगली जानवरों के लिए एक सामान्य खतरा है, इसलिए हमारी टीम हमेशा चौकन्ना रहती है जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति में जानवरों को रेस्क्यू करने में कोई कमी ना रह जाए.
मेडिकल जांच भी कराई गई
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजुराज एम.वी., ने कहा, “हमारी टीम जब स्थान पर पहुंची तो लकड़बग्घा मुसीबत में था. मेडिकल जांच में पता चला की उसे कोई चोट नहीं आई है, उसके बाद उसे सफलतापूर्वक जंगल में छोड़ दिया गया.
भारतीय उपमहाद्वीप की लकड़बग्घों की एक मात्र प्रजाति
1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित, इंडियन स्ट्राइप हायना (लकडबग्घा) भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली लकड़बग्घों की एकमात्र प्रजाति है और इसे इसकी मोटे जटिल बाल की झालर और लंबी पट्टियों से पहचाना जाता है.
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