नई दिल्ली. एक बार फिर देश में खानदानी गाय-भैंस और भेड़-बकरी की संख्या में इजाफा हुआ है. गौरतलब है कि हर साल हर साल राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल नई नस्लों को रजिस्टर्ड करता है. इस बार 10 देसी गाय-भैंस और भेड़-बकरी की संख्या में इजाफा हुआ है. रजिस्टर्ड नस्लों में गाय-भैंस और भेड़-बकरी के अलावा कुत्ता, बत्तख, गधा आदि भी शामिल है. बताते चलें कि आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल ने आईसीएआर की नस्ल पंजीकरण समिति (बीआरसी) की सिफारिश के आधार पर इन दस नई स्वदेशी नस्लों को पंजीकृत किया है.
बात की जाए कि किन नस्लों को रजिस्टर्ड किया गया है तो इनमें असम से मना भैंस, हिमाचल प्रदेश से गद्दी कुत्ता, त्रिपुरा से त्रिपुरेश्वरी बत्तख, उत्तराखंड से चौगरखा बकरी, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से बुंदेलखंडी बकरी, महाराष्ट्र से करकंबी सुअर, राजस्थान से खेरी भेड़, चांगखी कुत्ता, लद्दाखी गधा और लद्दाख (यूटी) से लद्दाखी याक शामिल हैं.
अब इतनी हो गईं हैं पशुओं के नस्लों की संख्या
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इन नस्लों के पंजीकरण के बाद अब अब देशी पशु-मवेशियों की नस्लों की संख्या 53 हो गईं हैं. जबकि भैंस की 21 नस्ल, बकरी की 41 नस्ल, भेड़ की 46 नस्ल, घोड़ों और टट्टुओं की 8 नस्ल, ऊंट की 9 नस्ल, सुअर की 15 नस्ल, गधे की 4 नस्ल, कुत्ते की 5 नस्ल, याक की लिए 2 नस्ल, मुर्गी की 20 नस्ल, बत्तख की 4 नस्ल और गीज की एक नस्ल रजिस्टर्ड हो गईं हैं. गौरतलब है कि आईसीएआर के उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) की अध्यक्षता वाली बीआरसी देश में नई पहचान की गई पशु नस्लों के पंजीकरण के लिए सर्वोच्च संस्था है. आईसीएआर के डीडीजी (एएस) डॉ. राघवेंद्र भट्टा की अध्यक्षता में बीआरसी ने 6 जनवरी, 2025 को एनएएससी, नई दिल्ली में आयोजित अपनी 12वीं बैठक में विभिन्न राज्यों की इन पशुधन और मुर्गी नस्लों के पंजीकरण को मंजूरी दी है.
बुंदेलखंडी नस्ल की बकरी भी हुई पंजीकृत
वहीं मध्य भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र की ‘बुंदेलखंडी’ बकरी को अब आईसीएआर-एनबीएजीआर, करनाल द्वारा एक स्पेशल नस्ल के रूप में मान्यता दी गई है. यह महत्वपूर्ण मान्यता 17 जनवरी, 2024 को एनएएससी, नई दिल्ली में डॉ. हिमांशु पाठक, माननीय सचिव, डेयरी और आईसीएआर के महानिदेशक की अध्यक्षता में आयोजित एक औपचारिक समारोह के दौरान हुई. मानद सह-अध्यक्ष डॉ. राघवेंद्र भट्टा, माननीय डीडीजी (पशु विज्ञान), डॉ. अभिजीत मित्रा, पशु स्वास्थ्य आयुक्त और डॉ. बीपी मिश्रा, निदेशक, आईसीएआर-एनबीएजीआर, करनाल की उपस्थिति में इसे रजिस्टर्ड किया गया. यह उपलब्धि आईसीएआर-आईजीएफआरआई में डॉ. बी. पी. कुशवाहा, डॉ. दीपक उपाध्याय, डॉ. एस. के. महंत, डॉ. के. के. सिंह और डॉ. अमरेश चंद्र के नेतृत्व में नस्ल संरक्षण टीम के समर्पित प्रयासों से हासिल हो सकी है. बुंदेलखंडी बकरी का एक नस्ल के रूप में पंजीकरण, रिसर्च कोशिशों को मजबूत करने में एक प्रमुख मील का पत्थर है, जिससे बकरी पालकों को अपनी आजीविका में सुधार करने में फायदा होगा.
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