Home पशुपालन Sheep Disease: भेड़ को अगर हो जाए ये बीमारियां तो हो सकता है बड़ा नुकसान, जानें इनके क्या हैं लक्षण
पशुपालन

Sheep Disease: भेड़ को अगर हो जाए ये बीमारियां तो हो सकता है बड़ा नुकसान, जानें इनके क्या हैं लक्षण

muzaffarnagari sheep weight
मुजफ्फरनगरी भेड़ की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भारत में पशुपालन किसानों की आय का एक बड़ा जरिया बनता जा रहा है. ग्रामीण इलाकों में और लघु किसान भेड़ बकरी पालन भी करते हैं. भेड़ पालना या भेड़ पालन घरेलू पालन पोषण करना माना जाता है. यह पशुपालन की ही एक शाखा है. भेड़ों को किसान मुख्य रूप से माीट दूध और उनसे हासिल होनी वाली खाल के लिए पालते हैं. मीट दूध के अलावा भेड़ों की खाल से भी अच्छी खासी कमाई की जाती है. किसी भी पशुपालन में सबसे ज्यादा नुकसान पशु को बीमारी की वजह से होता है.

अगर पशु को बीमारी लग गई और वक्त रहते उसका इलाज नहीं किया गया तो पशु की मौत भी हो सकती है. अगर ये नहीं भी हुआ तो उत्पादन पर दो असर पड़ ही जाता है. इसलिए पशुपालकों के लिए जरूरी है कि वह पशुओं की बीमारी के बारे में जाने. यहां क्योंकि हम भेड़ की बात कर रहे हैं तो भेड़ से जुड़ी एफएमडी, हेमोरैजिक स्पेटिकीमिया और रेबीज बीमारी का जिक्र इस आर्टिकल में करेंगे. आई इन बीमारियों के बारे में और उनके लक्षणों को जानते हैं.

पैर और मुंह रोग (एफएमडी)
रोग सभी उम्र के भेड़ में पाया जाता है. इसमें कम मृत्यु दर (2-5%) है. बुखार (104-106*एफ) रहता है. जुबान पर छाले/पुटिका और अल्सर, दंत पैड और ओर मीकोसा , वेसिकल्स और अल्सर का कारण बनते हैं. इंटरडिजिटल स्पेस और कोरोनेट पर, लंगड़ापन अत्यधिक लार, नाक पर छाले, लार, मुंह और जीभ के उपकला में अल्सर आदि हो जाता है. इंटरडिजिटल घाव, लंगड़ापन, थन पर अल्सर, भी होता है. इतना ही नहीं भूख न लगना, वजन कम होना, दूध उत्पादन में गिरावट भी इस बीमारी में होती है.

हेमोरैजिक स्पेटिकीमिया
इस बीमारी में सिर, गर्दन, छाती के चमड़े के नीचे की जेब में एडिमा का प्रकोज हो जाता है. जबकि इससे एडेमेटस सूजन गर्म और दर्दनाक होती है. अवसाद और कई रक्तस्रावों की उपस्थिति और निमोनिया के लक्षण, 24 घंटे के भीतर मृत्यु हो जाती है. लंगड़ापन, तेज बुखार (106-107) *एफ), नाक से अत्यधिक स्राव, गले के क्षेत्र में सूजन (सबमांडिबुलर एडिमा), सांस लेने में कठिनाई/खर्राटे लेना, डीवलैप और ब्रिस्केट एडिमा, बुखार होना आम है.

रेबीज बीमारी
इस रोग में भेड़ का व्यवहार में बदलाव हो जाता है. वे उग्र हो जाती हैं. उन्हें बेचैनी और उत्तेजना, यौन उत्तेजना, अत्यधिक लार आना, बार-बार और जोर से घोड़े की आवाज के साथ बोलना, संवेदना में कमी, निचले जबड़े का लटकना और जीभ का बाहर निकलने के लक्षण दिखते हैं. इसके अलावा चाल में तालमेल न होना, असमर्थता भोजन और पानी निगलना, प्रगतिशील पक्षाघात, लार टपकना, चिल्लाना, हमला करना, असंयम, पक्षाघात, चिंता, मांसपेशियों में कमजोरी और अवसाद की समस्या भी रहती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news, Animals in rain, Disease in animals, Animal husbandry, Animal enclosure, Animal news, CRRG, Flood, Flood news, Green fodder, Taj Trapezium Zone, TTZ, National Green Tribunal, NGT, Taj Mahal, Supreme Court
पशुपालन

Animal Husbandry: 45 करोड़ रुपये से होगी पशुओं की गिनती, जानें क्यों होती है

दूध उत्पादन में हम पहले स्थान पर हैं लेकिन प्रति पशु दूध...

live stock animal news, Survey on farmers, farmers' income, farmers' movement, MSP on crops, Chaudhary Charan Singh Agricultural University, HAU, agricultural economist Vinay Mahala, expenditure on farming.
पशुपालन

Animal Husbandry: डेयरी पशुओं की इन चार परेशानियों का घर पर ही करें इलाज, यहां पढ़ें डिटेल

वैकल्पिक दवाओं की जानकारी पशुपालकों के लिए जानना बेहद ही अहम है....