Home पशुपालन Green Fodder: इस फसल की करें बुवाई तो पशुओं के लिए नहीं होगी हरे चारे की कमी, खूब मिलता है उत्पादन
पशुपालन

Green Fodder: इस फसल की करें बुवाई तो पशुओं के लिए नहीं होगी हरे चारे की कमी, खूब मिलता है उत्पादन

livestock animal news
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. पशुओं को हरा चारा देना बेहद ही जरूरी होता है. क्योंकि हरे चारे में कई पौष्टिक गुण होते हैं जो पशुओं स्वास्थ के साथ—साथ उसके उत्पादन के लिए भी जरूरी होते हैं. चूंकि पशुपालक पशुपालन को ज्यादा उत्पादन और इससे होने वाले फायदे के लिए करते हैं तो जाहिर है कि हमेशा उनकी कोशिश रहती है कि कैसे उत्पादन बढ़ाया जाए. इस वक्त गर्मियों का दिन है और हरे चारे की कमी है. इस कमी से देश के अलग-अलग हिस्से प्रभावित हैं. हालांकि किसानों को अगर चारों की सटीक जानकारी रहे तो फिर ये दिक्कत दूर हो सकती है.

क्योंकि हरे चारे की कैटेगरी में ऐसे कई चारे हैं जो गर्मियों में चारे की कमी को पूरा कर सकें. यहां हम जिक्र कर रहे हैं जई फसल चारा की. इस फसल चारा को 4 से 5 सिंचाई की जरूरत होती है और 30 से 35 दिनों पर इसकी कटाई की जा सकती है. इससे पशुओं को भरपूर चारा मिल सकता है. आइए जई चारा फसल के बारे में जानते हैं.

ये है बुवाई का सही समय
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि जई चारा फसल को बोने का सबसे सही समय मध्य अक्टूबर से नवम्बर अंत है. इससे ठंड में भी चारा लिया जा सकता है. वहीं इसके बाद आने वाली गर्मियों में भी चारा मिल जाता है. इस फसल के लिए खेत के चुनाव एवं तैयारी की बात जाए तो इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी भूमि उपयुक्त है. जिस भूमि में जल निकास का अच्छा प्रबन्ध हो वह सर्वोतम मानी जाती है. एक से दो जुताई देशी हल से की जानी चाहिए. एवं इसके बाद पलेवा देकर दो बार जुताई लगाकर खेत को तैयार करें.

कितनी खाद की होती है जरूरत
बुवाई के वक्त बीज की मात्रा 100 किलो बीज प्रति हेक्टेयर रखनी चाहिए. कतार से कतार की दूरी 20 से 25 सेमी रखना उचित होगा. वहीं इस चारा फसल के लिए खाद व उर्वरक के तौर पर 30-40 गाड़ी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर 80 किलो नत्रजन एवं 40 किलो फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की मात्रा दें. फास्फोरस की पूरी एवं नत्रजन की एक तिहाई मात्रा बुवाई के समय दे देनी चाहिए. नत्रजन की शेष एक तिहाई मात्रा बुवाई के 30-35 दिन बाद एवं कटाई के बाद सिंचाई के साथ दें.

कितना मिलता है चारा
सिंचाई के बारे में बताएं तो जई की फसल में चार पांच सिंचाईयों की आवश्यकता होती है. पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद व अन्य सिंचाई 15-20 दिन के अन्तराल पर करें. खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें. जई की फसल में दो कटाई लेना फायदेमंद है. पहली कटाई बुवाई के 70-75 दिन बाद तथा दूसरी बाली आने की अवस्था पर करें. चारा उपज के तौर 300-500 क्विंटल प्रति हेक्टर मिलता है. इसकी किस्में, केन्ट, ओएस-6 एवं यू पी ओ 212 उत्तम हैं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

langda bukhar kya hota hai
पशुपालन

Animal Husbandry: पशुओं की अच्छी सेहत और प्रोडक्शन के लिए ठंड में करें इन 14 टिप्स पर काम

वहीं सरकारी योजनाओं का फायदा उठाकर किसान पशुपालन में आने वाले जोखिम...

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: सितंबर के महीने में इन 14 प्वाइंट्स पर जरूर करें गौर, पशुपालन में बढ़ जाएगा मुनाफा

पशुशाला से लेकर उनकेे खान-पान पर ध्यान देना जरूर होता है. पशुशाला...

livestock animal news
पशुपालन

Cow Husbandry: गायों में इस संक्रमण की वजह से हो जाता है गर्भपात, यहां पढ़ें कैसे किया जाए बचाव

इस रोग के कारण गायों में गर्भावस्था की अंतिम तीन महीनों में...

sheep and goat farming
पशुपालन

Animal News: भेड़-बकरी पालन के फायदों को बताएगा आकाशवाणी, देगा नई तकनीकों की जानकारी

केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसन्धान संस्थान अविकानगर एवम आकाशवाणी केंद्र जयपुर के...