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Dairy News: घर पर ऐसे घी बनाया तो नहीं पड़ेगी केमिकल मिलाने की जरूरत, पढ़ें डिटेल

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. देशी गायों से बनी असली देशी घी कई मायनों में बेहतरीन होती है लेकिन शर्त यही है कि वह सही तरह से बनाई गई हो और उसमें किसी तरह का केमिकल इस्तेमाल न किया गया हो. क्योंकि बाजार में देशी घी के नाम पर केमिकल से बनी घी खूब बेची जा रही है और लोगों के साथ ठगी की जा रही है. एक तो लोग ज्यादा पैसा देकर घी खरीदते हैं. वहीं इसकी पहचान करना भी आसान नहीं रहता है. इस आर्टिकल में हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि किस तरह से घर पर ही देशी घी को बनाया जा सकता है, जिसमें केमिकल मिलाने की जरूरत नहीं पड़ती है. आईए जानते हैं.

अगर असली घी बनाना है तो सबसे पहले आपको पशुओं को बेहतरीन चारा खिलाना होगा. जिससे वह पौष्टिक और क्वालिटी से भरपूर दूध का उत्पादन करें. इसमें गाय की नस्ल भी महत्वपूर्ण होती है. क्योंकि अगर गाय की नस्ल अच्छी है तो उसका दूध भी अच्छा होगा. दूध निकालने के बाद एक जगह पर उसे इकट्ठा किया जाता है. इसे नापने के बाद घी की क्वांटिटी का अंदाजा लग जाता है और इसके बाद इसे एक स्टील के साफ बर्तन में दूध को रख लेना चाहिए और छान लेना बेहतर होता है.

जानें, क्या है बिलोना विधि
बता दें कि घी बनाने के लिए मिट्टी के बर्तनों की भी जरूरत पड़ती है और उसे अच्छे से सफाई करके मिट्टी का लेप लगा लेना चाहिए. इसके लिए आप मटकों का इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ गोबर से बने कंडों को जलाया जाता है. ताकि हल्की-हल्की आंच पर दूध को गर्म किया जा सके. मिट्टी से बने चूल्हे में कंडों को सेट किया जाता है, ताकि जिस मटके में दूध रखा है उसमें हल्की-हल्की गर्माहट मिलती रहे और दूध खौलता रहे. मटके की तली में रेत भी लगाना चाहिए ताकि आंच हल्की लगे और दूध धीरे-धीरे गर्म हो. इस विधि को वैदिक बिलोना विधि कहा जाता है.

4 से 5 घंटे दूध किया जाता है गर्म
जब आग जल जाती है तो उन मटको में दूध को डाला जाता है दूध गर्म होने की प्रक्रिया में तकरीबन 4 से 5 घंटे लगते हैं. उसके बाद दूध को अलग-अलग मटकों में पलट दिया जाता है और दही जमावन की प्रक्रिया शुरू होती है. जिसमें थोड़ा-थोड़ा दही डाला जाता है और उसके बाद उसे अच्छी तरह से रख दिया जाएगा. इस पर एक सफेद सूती कपड़ा डाला जाता है ताकि दही अच्छी तरह से जम सके और मथने के लिए तैयार हो जाए. दूसरे दिन इसे मथनी से मथा जाता है. लकड़ी से बनाई गई मथनी का इसमें इस्तेमाल किया जाता है और इसी को बिलोना कहा जाता है. यही वजह है कि इस प्रक्रिया को बिलोना विधि भी कहा जाता है.

मक्खन को धीमी आंच पर करते हैं गर्म
जब अच्छे से मथ लिया जाता है तो छाछ और मक्खन एक दूसरे से अलग हो जाते हैं. मक्खन को दूसरे बर्तन में निकाल लिया जाता है. इस प्रक्रिया में साफ सफाई का भी ख्याल रखा जाता है. उसके बाद इस मक्खन को चूल्हे पर धीमी आंच पर एक मिट्टी के बर्तन में गर्म किया जाता है. धीमी आंच पर गर्म करने का यह फायदा होता है कि मक्खन के पौष्टिक तत्व उसी में रह जाते हैं और घी काफी टेस्टी शुद्ध और ताकतवर बनता है. इसके बाद एक सूती कपड़े से घी को छान लिया जाता है और फिर इसे पैक करके मार्केट में बेचा जाता है.

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