Home मछली पालन Seaweed Farming को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन 27 जनवरी को
मछली पालन

Seaweed Farming को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन 27 जनवरी को

seaweed farming methods
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रुपाला 27 जनवरी 2024 को कच्छ गुजरात के कोटेश्वर; कोरी क्रीक में समुद्री शैवाल खेती को बढ़ावा देने पर राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेंगे. इस दौरान केंद्रीय मंत्री लाभार्थियों के साथ बातचीत भी करेंगे और चिन्हित लाभार्थियों को परिसंपत्तियां भी देंगे. बताते चलें कि समुद्री शैवाल क्षेत्र को मजबूत और विकसित करने के उद्देश्य से मत्स्य पालन विभाग इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है. इस कार्यक्रम में नीति निर्माताओं, केंद्रीय और राज्य मत्स्य पालन अधिकारियों, शोधकर्ताओं समुद्री शैवाल किसानों, स्थानीय ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों, स्वयं सहायता समूहों, एसएचजी, मत्स्य किसान उत्पादक संगठनों एफएफपीओ, कम्पनियों, सीएस आदि सहित लगभग 300 प्रतिभागियों के भाग लेने की संभावना है.

एक मंच पर लाने का प्रयास
सरकारी प्रेस रिलीज के मुताबिक सम्मेलन से समुद्री शैवाल की खेती में सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में जानने, समुद्री शैवाल और उद्योग विशेषज्ञों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने और कोरी क्रीक में समुद्री शैवाल की खेती का ऑन-फील्ड प्रदर्शन प्रदान करने के लिए सभी हितधारकों . विशेष रूप से छोटे उद्यमियों और किसानों को एक मंच पर लाए जाने एक बार फिर अवसर मिलने की सम्भावना है. इसका उद्देश्य उद्यमियों को नेटवर्किंग का अवसर प्रदान करना भी है.

प्रदर्शनी भी हुई है आयोजित
इस कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद. केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान आईसीएआर, सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट .सीएमएफआरआई और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद, केन्द्रीय नमक व समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान सीएसआईआर, सेंट्रल साल्ट मरीन केमिकल्स रिसर्च इंस्टीट्यूट.सीएसएमसीआरआई के वैज्ञानिकों और समुद्री शैवाल, कंपनियों, लक्षद्वीप के उद्यमी श्री हरि एस थिवाकर द्वारा कार्य क्षेत्र ऑनफील्ड अनुभवों और अंतर्दृष्टि पर चर्चा होगी. भाग लेने वाले उद्यमियों और अनुसंधान संगठनों द्वारा एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई है.

इन मुद्दों पर होगी चर्चा
इस दौरान सुझावों से अंतराल को संबोधित करने और मूल्य श्रृंखला की समस्याओं को कम करने जैसे उपयुक्त खेती योग्य स्थानों की पहचान, उपयुक्त खेती प्रौद्योगिकियों का उपयोग, गुणवत्ता वाले बीजों की स्थानीय उपलब्धता में वृद्धि, जोखिम शमन के लिए आगे बढ़ने, प्रजातियों का विविधीकरण, तकनीकी जानकारी और सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रसार, बाजार संबंधों को मजबूत करने, स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार जल पट्टे की नीतियों का निर्माण, नई नीति ढांचे के लिए आवश्यकताओं को समझने, संभावित लाभार्थियों तक प्रधानमन्त्री मत्स्य संपदा योजना पीएमएमएसवाई के लाभों की पहुंच बढ़ाने के लिए के लिए रणनीति तैयार करने का मार्ग प्रशस्त होने की संभावना है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

shrimp farming problems
मछली पालन

Shrimp Farming: क्यों करना चाहिए झींगा पालन, यहां पढ़ें इसके फायदे

झींगा पालन काम करना चाहिए या नहीं. इस आर्टिकल में हम आपको...

jhinga machli palan
मछली पालन

Shrimp Farming: झींगा पालन की कैसे करें शुरुआत, क्या-क्या तैयारियां करनी हैं, जानें यहां

झींगा पालन करने के लिए आपको तालाब तैयार करना पड़ेगा. इसके लिए...