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यहां जानें खेत में मछली पालन करने से कैसे मुनाफा किया जा सकता है दोगुना, मछली पालकों के लिए बेहतर हैं ये प्लान

नई दिल्ली. इस बात को हर कोई मानेगा कि मछली हो या फसल, इसमें अगर लागत कम लगेगी तो मुनाफा ज्यादा होगा. यही वजह है कि हर फील्ड के एक्सपर्ट हमेशा इस बात पर काम करते हैं कि कैसे लागत को कम किया जाए. ​ऐसा रास्ता निकाला जाए जिससे एक काम को करने से दो फायदा मिले. कुछ इस तरह का हल मछली पालन के लिए भी ​किया गया है. एक्सपर्ट कहते हैं यदि खेत में मछली पालन किया जाए तो मछली पालन के साथ ही इसका फायदा खेती को भी होगा. आइए जानते हैं कि ऐसा कैसे संभव होगा. एक्सपर्ट कहते हैं कि मछली पालन खेत में करने से खेत में लगी फसल को मछली के तालाब के पानी का पानी खाद के रूप में मिल जाता है.

फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि मछली पालन में 60 से 70 फीसद खर्च तो उनके दाने (फीड) पर होता है. जबकि अन्य खर्च अलग से हैं. जिसमें तालाब का मेंटीनेंस और मछलियों की दवा. जबकि दाने पर आने वाले खर्च को कैसे कम से कम किया जाए जिससे मछली पालन को बढ़ावा मिले इस पर कई संस्थान रिसर्च कर रहा है. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर आपकी मछली मांसाहारी है तो तालाब में मछली के साथ बत्तख भी पाली जा सकती है. पानी में रहने के दौरान बत्तख बीट भी तालाब में ही कर देती है. जिसे तालाब की मछलियां बड़े ही चाव से खाती हैं. जबकि पोल्ट्री फार्म से मुर्गे-मुर्गी की बीट लाकर भी तालाब में डाली जा सकती है. जो आसानी से कम कीमत पर मिल जाएगी.

हरियाणा के मछली पालक मुनेंद्र शेरावत ने का कहना है कि मछली के तालाब का पानी खेत में लगी फसलों के लिए बहुत ही मुफीद होता है. बताया कि उनके पास दो एकड़ जमीन पर तालाब हैं, इसमें मछली पालन भी करते हैं. जबकि तालाब के पास ही मौजूद उनकी पर मौसम के हिसाब से फसल लगाई जाती है. मछली पालन के हिसाब से मैं तालाब का पानी एक साल में तीन बार बदल दिया जाता है. इस दौरान तालाब के पानी को बदलने के दौरान फेंकने के बजाय खेत में ही इस्तेमाल कर लिया है. इससे धान के खेत में पानी की ओर आकर्षित होने वाले दर्जनों तरह के कीट मडराते रहते हैं. जिसमें मच्छर भी होता है. आबादी के पास भी मच्छरों का खासा प्रकोप रहता है.

ऐसे में यदि आपका तालाब धान के खेत या फिर आबादी के आसपास है तो मछलियों को मच्छरों समेत उनका लार्वा मिल जाता है. धान की वजह से दूसरे कीट भी बड़ी संख्या में तालाब तक आते हैं. जिसे मछलियां अपनी खुराक बना लेती हैं. समझने वाली बात ये भी है कि अगर आपका मछली पालन का तालाब ग्रामीण इलाके में आबादी के आसपास है तो वहां भैंसे भी पाली जाती हैं. ऐसे में आप भैंस पालकों से बातकरके आप भैंस को तालाब में उतरवा सकते हैं, जब भैंस गोबर करेंगी तो मछलियों गोबर को भी अपनी खुराक बनाएंगी.

वहीं यूपी के मछली पालक एमडी खान कहते हैं कि तालाब में पाली जाने वाली मछलियों को दाने के रूप में ज्यादातर मछली पालक चावल और सरसों की खल (मस्टर्ड केक) देते हैं. इसके अलावा बाजार में भी कई तरह के फीड इसके लिए उपलब्ध हैं. ब्रीड के हिसाब से कुछ लोग पोल्ट्रीं फार्म की बीट भी मछलियों को देते हैं. अगर मछली मांगुर या उस जैसी ब्रीड की और दूसरी मछली हैं तो स्लॉटर हाउस से निकले वेस्ट को मिलाकर बनाया गया फीड भी दिया जा सकता है, जो बहुत ही फायदेमंद सौदा साबित हो सकता है.

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