नई दिल्ली. ग्रामीण इलाकों में बकरी पालन छोटे पैमाने पर भी किया जाता है. क्योंकि बकरी को गरीबों की गाय भी कहा जाता है. इनके पालने वालों को इससे जिस तरह की जरूरत होती है, उसे पूरा कर लेते हैं. मसलन बकरी का दूध निकालकर इसे बेचते हैं और मुनाफा कमाते हैं और जब ज्यादा पैसों की जरूरत होती है तो बकरी को बेचकर भी मुनाफा कमा लेते हैं. बकरी पालन दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है और यह ज्यादा मुनाफा दे रहा है. इसके चलते लोग बकरी पालन की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं ताकि ज्यादा फायदा उठा सकें.
खास तौर पर जब डेंगू जैसे बुखार का प्रकोप फैलता है तो बकरी का दूध किसी औषधि से कम नहीं माना जाता. इस दौरान प्लेटलेट्स कम हो जाती है तो बकरी का दूध सबसे ज्यादा मुफीद होता है. डिमांड ज्यादा और प्रोडक्शन कम होने की वजह से इस दौरान बकरी का दूध 400 से 500 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है. एक्सपर्ट भी कहते हैं कि बकरी का दूध, दूध नहीं बल्कि यह दवा है. यही वजह है कि अब बकरी पालन की ओर तेजी से लोग कर रहे हैं.
तेजी से बढ़ रहा है बकरी के दूध का उत्पादन
गरीबों की गाय कहीं जाने वाली बकरी आजकल खूब चर्चाओं में है. अगर पिछले 6 साल के रिकॉर्ड को देखा जाए तो 18.50 लाख टन बकरी के दूध का प्रोडक्शन ही बढ़ चुका है. क्योंकि बकरी के दूध की डिमांड बहुत ज्यादा हो रही है. इस वजह से लोग बकरी को पालकर उसके दूध को बेच रहे हैं. इस वजह से इन दिदनों बकरी का दूध खासा चर्चा में है. देखते-देखते ही उत्पादन 57 लाख टन से 76 लाख टन तक पहुंच गया है.
ट्रेनिंग लेने वालों की लगी लाइन
बकरी पालन के सरकारी आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पशुपालन के लिए लोन वालों में करीब 70 फीसद आंकड़ा बकरी पालकों का है. यानि पशुपालन के अगर 100 लोग लोन ले के लिए अप्लाई कर रहे हैं तो उसमें 70 लोग बकरी पालने के लिए लोन लेते रहे हैं. इतना ही नहीं बकरी पालन की ट्रेनिंग लेने के लिए भी सरकारी संस्थानों में लंबी वेटिंग चल रही है. सैकड़ों की संख्याा में ट्रेनिंग करने के लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थाचन, मथुरा में आवेदन आ रहे हैं. कई बड़ी बीमारियों में लाभदायक होने के चलते बकरी के दूध की डिमांड बढ़ने लगी है.
क्या है बकरी के दूध की खासियत
बकरी के दूध की खासियत और फायदे की बात की जाए तो इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं. जो आपके शरीर की सूजन को कम करने में असरदार होते हैं. बकरी के दूध की ये भी खासियत है कि ये आसानी से पच जाता है. बकरी के दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन गाय के दूध में मिलने वाले प्रोटीन के मुकाबले बहुत ही जल्दी पच जाने वाला है. इसलिए ये बच्चों को भी दिया जा सकता है. इसके दूध में लैक्टोज की मात्रा भी कम होती है. जबकि डेंगू के बुखार के दौरान प्लेटलेट्स काउंट को तेजी से बढ़ाता है.
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