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Dairy: देश में डेयरी सेक्टर से जुड़ी हैं 60 लाख महिलाएं, NDDB ऐसे मजबूत कर रहा है उनकी भूमिका

ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में मौजूद मेहमान.

नई दिल्ली. महिलाएं अब सिर्फ घर के कामकाज ही नहीं कर रही हैं बल्कि घर चला भी रही हैं. इतना ही नहीं डेयरी सेक्टर में वो न सिर्फ कमाई कर रही हैं बल्कि अपने और इसके भविष्य को आकार देने का भी काम कर रही हैं. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित ग्लोबल कॉन्फ्रेंस के मौके पर ये बात निकलकर सामने आई है. जहां NDDB की ओर से बताया गया कि कैसे महिलाओं की डेयरी सेक्टर में भूमिका बढ़ती जा रही है. 60 लाख से महिलाएं इस सेक्टर से जुड़कर अपनी आजीविका चला रही हैं.

ग्लोबल कॉन्फ्रेंस के मौके पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, DA&FW और DARE, MoA&FW, GoI के सचिव देवेश चतुर्वेदी, NDDB के अध्यक्ष डॉ. मीनेश सी शाह, ICRISAT के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) ICAR डॉ. आरसी अग्रवाल, उप देश निदेशक, संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम नोजोमी हाशिमोटो, देश प्रतिनिधि FAO-IN ताकायुकी हागिवारा, निदेशक, ICAR-CIWA और अध्यक्ष RAGA डॉ. मृदुला देवी आदि मौजूद रहे.

डेयरी की रीढ़ं हैं महिलाएं
डॉ. मीनेश शाह, अध्यक्ष, NDDB, ने अपने वर्चुअल संबोधन में डेयरी क्षेत्र में महिलाओं की परिवर्तनकारी भूमिका और दूध उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता में उनके महत्वपूर्ण योगदान को सबके सामने रखा. उन्होंने जोर देकर कहा कि डेयरी ग्रामीण सशक्तिकरण का एक लाइट हाउस है, जिसमें महिलाएं इसकी रीढ़ बन गईं हैं, जो जमीनी स्तर से लेकर उत्पादक संगठनों में नेतृत्व भूमिकाओं तक प्रगति को आगे बढ़ाती हैं. उन्होंने साझा किया कि आज 60 लाख से अधिक महिला किसान डेयरी में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं. ये न केवल योगदान कर रहीं बल्कि निर्णय लेने वालों के रूप में भी सेक्टर को आकार दे रही हैं. NDDB की उनकी भूमिका को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, 22 किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) की स्थापना की गई है, जिनमें से 16 पूरी तरह से महिला नेतृत्व वाले हैं.

गोबर से बन रही है बायो गैस
डॉ. शाह ने स्थायी डेयरी फार्मिंग में NDDB के प्रयासों को भी रेखांकित किया, विशेष रूप से खाद प्रबंधन और नए ऊर्जा समाधानों में. उन्होंने बताया कि कैसे गाय के गोबर को कुशलता के साथ बायोगैस में परिवर्तित किया जा रहा है, जो एक स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन के रूप में कार्य करता है. जबकि बायोगैस संयंत्रों से जैविक स्लरी को उच्च गुणवत्ता वाले जैव-उर्वरकों में पुनः उपयोग किया जाता है. ये पहलकदमी न केवल पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देती हैं बल्कि भी प्रदान करती हैं.

केंद्रीय मंत्री ने की ये शुरुआत
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एनडीडीबी के खाद प्रबंधन परियोजना के तहत सुंदरबन सहकारी दूध और पशुपालन उत्पादक संघ लिमिटेड द्वारा विकसित जैविक गोबर के घोल पर आधारित जैव-उर्वरकों का भी शुभारंभ किया. ये जैविक उर्वरक, सहकारी की महिला सदस्यों और पेशेवरों द्वारा उत्पादित, किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान करने, मीथेन उत्सर्जन को कम करने और लगातार डेयरी डेयरी और जैविक कृषि को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखते हैं.

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