नई दिल्ली. मछली पालन एक बेहतरीन व्यवसाय के रूप में उभर चुका है. खासकर ग्रामीण इलाकों में मछली पालन कृषि के बेहतरीन विकल्प के रूप में उभरा है. एक्सपर्ट का कहना है कि कृषि के साथ-साथ किसानों को मछली पालन भी करना चाहिए. इससे उनकी इनकम बढ़ जाएगी और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो जाएगा. जिससे देश की अर्थव्यवस्था में किसान और ज्यादा योगदान दे सकते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि मछली पालन के दौरान कुछ खास चीजों का ध्यान देना होता है तभी अपेक्षित नतीजे आते हैं. मसलन, मौसम के लिहाज से उनकी केयर करना बेहद ही जरूरी होता है.
एक्सपर्ट के मुताबिक मछलियों का गर्मी में अलग तरह से मछली पालन किया जाता है. जबकि ठंड में अलग तरीके से. इसलिए मछली पालन की इन बीरिकियां को सीखना बहुत जरूरी होता है. तभी मछलियों की ग्रोथ अच्छी होती है और इससे अच्छी कमाई भी होगी. अगर ऐसा न किया जाए तो मछली पालन में नुकसान उठाना पड़ सकता है. फिश एक्सपर्ट की ओर ठंड में मछली पालन के लिए कुछ सुझाव दिये गए हैं. उन्हीं को इस आर्टिकल में शामिल किया गया है. गौर से पढ़ें और जानें आने वाली ठंड में मछली पालन में किन बातों का ख्याल रखना चाहिए.
इन सुझाव को गौर से पढ़ें मछली किसान
हमेशा तालाब के पानी की गुणवत्ता बनाए रखें.
तालाब से पत्तियों और मलबे को हटाने के लिए जाल का उपयोग करें.
तालाब का पानी साफ रखना चाहिए. इससे मछलियों को फायदा मिलता है.
तालाब के पानी को जमने से रोकें. इसके लिए एरियेटर और एयर स्टोन का इस्तेमाल करें.
जब पानी का तापमान 55 डिग्री फारेनहाइट से कम हो जाए तो खाना देना बंद कर दें.
तालाब को साफ करें
सर्दियों के दौरान तालाब को साफ करें. फिल्ट्रेशन सिस्टम को एक्टिव जरूर करें.
कोशिश करें कि ट्यूबवेल या पंपसेट से या तालाब में पानी की री साइकिल करें. ऐसा करने से हानिकारक गैसों को बढ़ने से रोका जा सकता है.
कभी भी तालाब में ऑक्सीजन की कमी न होने दें. क्योंकि ठंड के मौसम में तालाबों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे मछलियां मरने लगती हैं.
बर्फ के लिए योजना
अक्सर तालाब में बर्फ जम जाती है. ऐसी कंडीशन में गर्म पानी से तालाब पर जमी बर्फ की परत को पिघलाने की कोशिश करें.
ऐसी मछली का पालन करें जो लचीली हो ताकि मछली सर्दियों के दौरान तालाब की बाहरी सतह पर भी जिंदा रह सके.
सर्दियों के दौरान मछलियां कमजोर हो जाती हैं. क्योंकि उनके चयापचय metabolism धीमा होता है और उनकी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है.
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