नई दिल्ली. पशुओं की बीमारियों से पशु-पालकों को हर करोड़ों रुपये का नुकसान होता है. बीमारियों से उत्पादन में भारी कमी होती है और अधिकतर पशुओं की शारीरिक स्थिति बिगड़ जाती है. कमजोर पशुओं को अधिक भोजन की आवश्यकता होती है और स्वस्थ्य जानवरों के मुकाबले उनकी वृद्धि में भी अधिक समय लगता है. डेयरी पशु समूह (हर्ड) के स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी कार्यक्रम जो उपचार की तुलना में बीमारी से बचाव पर अधिक बल देते हैं उनका पशुओं की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में विशेष योगदान है. एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसा करने से पशुपालकों को फायदा होता है.
एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि, डेयरी फार्म को एक उत्पादन इकाई मानकर उसके नुकसान-फायदे का आंकलन करने पर बीमारियों की रोकथाम अधिक फायदेमंद साबित होती है. इसीलिये कहा जाता है कि दवा से बचाव अधिक अच्छा होता है. डेयरी पशु समूह के स्वास्थ्य कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पशुओं के हानिकारक बीमारियों की रोकथाम कर फायदा पहुंचाना है. मौजूदा समय में दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी आमतौर पर विदेशी मूल के ज्यादा दूध क्षमता वाले पशुओं के सीमन लेकर संकर नस्ल की गायों को पैदा कर उनकी संख्या में वृद्धि द्वारा की गई है. ये पशु अधिक दूध देने में सक्षम होतें हैं.
आवास के पहलुओं को जानना अहम
गर्म देशों की बीमारियों और प्रतिकूल वातावरण के कारण रोगों की संख्या और मृत्युदर अधिक होने से संकर नस्ल के पशुओं को पालना कठिन है. इन परिस्थितियों में पशुओं के स्वास्थ्य प्रबन्धन का महत्व और भी बढ़ जाता है. पशु पालकों द्वारा, पशुओं को स्वस्थ रखने में सफाई की अहम भूमिका है. हर किसानों को इससे अवगत रहना भी बेहद ही अहम है. इसमें पशुओं की सफाई, उनके आवास तथा आसपास की सफाई के तमाम पहलुओं को जानना भी अहम है. पशुओं को खरेरा करना व धोना (नहलाया) जिससे कि वह स्वच्छ, सक्रिय और स्वस्थ रह सके. वहीं पशुओं के आवास को साफ रखना भी बेहद अहम है.
डेयरी फार्म में होनी चाहिए सफाई
इसके अलावा पशुओं के आवास को बैक्टीरिया से फ्री रखना भी अहम है. फार्म स्तर पर वातावरण को स्वच्छ रखने के सामान्य उपाय भी जरूरी हैं. फार्म के कर्मियों एवं दूध दुहने वालों का समय-समय पर जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों के प्रति स्वास्थ्य परीक्षण की आवश्यकता है. क्योंकि बीमारी इन वजहों से भी हो सकती है. बीमारी से बचाने के लिए जरूरी है कि हर वक्त बाड़े को साफ-सुथरा रखा जाए. बाड़े से पशुओं के वेस्ट को निकालने की बेहतर व्यवस्था हो. पशुओं के बाड़े साफ रहेंगे तो पशु बीमारी से दूर रहेंगे.
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