नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश की इटावा लायन सफारी में अपने मां-बाप से बिछड़े शावकों को जंगल नहीं, बल्कि इंसानों ने संभाला है. सफारी के कर्मचारियों ने इन छोड़े गए पांच एशियाई शेर शावकों की जान बचाकर उन्हें पाल-पोंस कर बड़ा कर दिया है. ये भारत में पहली बार हुआ है. बता दें कि सितंबर 2023 में शेरनी रूपा ने अपने शावक को छोड़ दिया था. जिसके बाद सफारी के डायरेक्टर अनिल पटेल के नेतृत्व में उनकी टीम ने उसके पोषण और देखभाल कर शावक को बचाया. यह शावक अब 10 महीने का है और उसका नाम ‘अज्जू’ रखा गया है. उसका ये नाम सफारी में देखभाल करने वाले अजय सिंह के नाम पर रखा गया है.
अजय सिंह और आसिफ अली ने इन शावकों के लिए अपने परिवार और निजी जीवन को भी पीछे रखा है. आसिफ कहते हैं, ‘कई रातें अपने बच्चों और पत्नी से दूर रहा, लेकिन जब अज्जू और बाकी शावक खेलते और स्वस्थ दिखते है, तो सब कुछ सार्थक लगता है. बता दें कि इन शावकों की स्टोरी सपा सप्रीमो अखिलेश यादव ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर की है.
दूध, प्रोटीन वाला सूप की मिलती है स्पेशल डाइट
इन शावको को सीसीटीवी निगरानी वाले बाड़ों में रखा गया है. हर कुछ घंटों में उन्हें खास दूध और प्रोटीन वाला सूप दिया जाता है. डॉक्टर उनके स्वास्थ्य, व्यवहार और विकास पर नजर रखते हैं. आज ये शावक बिलकुल वैसे ही बर्ताव करते हैं जैसे प्राकृतिक माहौल में पले शेर करते हैं. गुजरात के गिर जगल में अब सिर्फ 700 के आसपास उशियाई शेर बचे हैं. ऐसे में इटावा की यह कोशिश सिर्फ एक स्थानीय उपलब्धि नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय प्रेरणा है. जिससे आगे भी शेरों को बचाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.
5 नन्हे शेरों को मिली नई जिंदगी
सफारी के निदेशक अनिल पटेल ने कहा, ‘ये केवल पाच शावकों की कहानी नहीं है. ये एक सबूत है कि समर्पण, वैज्ञानिक सोच और करुणा से हम सकट में पड़े जानवरों को भी नया जीवन दे सकते है और हा, यहां सिंबा अकेला नहीं चलता, वो गर्व से बढ़त है, इसानी साथ के साथ. बता दें कि सितंबर 2023 में शेरनी रूपा ने अपने शावक को छोड़ दिया था. जिसके बाद से ही उनका ख्याल यहां रखा जा रहा है. यहां के कर्मचारियों ने शावकों को खूब प्यार दिया है. इससे वो सेहतमंद भी हो गए हैं और आसानी के साथ सफारी में रह रहे हैं.
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