नई दिल्ली. देशभर में पशुगणना 2024 की शुरुआत 25 अक्टूबर शुक्रवार से शुरू हो गई है. इससे पहले साल 2019 में आखिरी बार पशुओं की गिनती की गई थी. इस बार पशुगणना कई मायनों में खास होने वाली है. दरअसल, इस साल होने वाली पशुगणना में कुछ चीजें ऐसी हैं जो पहली बार होने वाली है. सबसे पहली बात ये है कि इस बार की पशुगणना में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. ताकि पशुओं की गिनती में एक्यूरेसी को और ज्यादा बढ़ाया जा सके. इसके लिए एप की मदद ली जाएगी और उसी के सहारे पशुओं की गिनती दूर-दराज इलाकों तक होगी.
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने बताया कि पशुगणना 25 अक्टूबर से शुरू कर दी गई है और ये फरवरी 2025 तक चलेगी. उन्होंने बताया कि ऐसा पहली बार होगा कि इतने कम समय में ही पशुगणना पूरी कर ली जाएगी. अब से पहले कभी भी चार महीने में पशुगणना नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए संभव हो रहा है कि इस बार पशुगणना में टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है. इसकी मदद से पशुगणना में आसानी होगी.
स्ट्रीट एनिमल की भी होगी गिनती
पशुपालन और डेयरी मंत्री ने बताया कि इसके लिए एप का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं टेक्नोलॉजी की मदद से पशुगणना में एक्यूरेसी भी आएगी. मंत्री के मुताबिक अभी तक किसानों के पास मौजूद पशुधन की गिनती होती थी, लेकिन इस बार स्ट्रीट एनिमल को भी इसमें शामिल किया गया है. पहली बार पशुगणना में रोडों पर घूमने वाली छुट्टा गायों, बैलों, स्ट्रीट डॉग की भी गिनती की जाएगी. ताकि वैक्सीनेशन अभियान चलाने में आसानी हो. रोड पर छुट्टा पशुओं से हो रही समस्या से निपटने में इससे मदद मिलेगी.
पेंडेमिक के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट जारी
केंद्रीय डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह इस बात का ऐलान किया है कि एनिमल पेंडेमिक के लिए 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानि करीब 200 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है. जो पशुओं की बीमारियों का रोकने में खर्च होगा. पशुओं में लंपी, एफएफडी जैसी कई बीमारियां हैं जिससे पशुपालकों को बड़ा नुकसान पहुंचता है. इसपर काम होगा. 200 करोड़ रुपये से सर्विलांस सिस्टम डेवलप होगा. देशभर में लेबोरेटी नेटवर्क को बनाया जाएगा. वहीं पशुओं के ट्रीटमेंट पर भी काम होगा. बीमारियों के खतरे को देखते हुए दूसरे राज्यों से बैठकर बात होगी. कैसे बीमारियों को रोका जाए, इसपर चर्चा होगी.
एक्सपोर्ट पॉलिसी बनाने में मिलेगी मदद
बात पशुगणना के फायदों की जाए तो इससे वैक्सीनेशन प्रोग्राम बनाने में आसानी होती है. जिससे बीमारियों को रोकने में मदद मिलती है. पशुगणना का सबसे बढ़ा फायदा ये भी है कि सरकार को एक्सपोर्ट पॉलिसी बनाने में मदद मिलेगी. भारत से बड़ी मात्रा में बफैलो मीट एक्सपोर्ट होता है. विदेशी बाजार में बफैलो मीट को भेजने से पहले जांच से गुजरना होता है. बीमार पशुओं के मीट को एक्सपोर्ट नहीं किया जा सकता है. वहीं किस तरह से एक्सपोर्ट को बढ़ाया जाएगा, इन सब चीजों पर पॉलिसी बनाने में मदद मिलेगी.
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