Home पशुपालन Red Meat: जानें देश में क्यों तेजी से बढ़ रही है बफैलो मीट की मांग, विदेशियों को भी पसंद है यहां का रेड मीट
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Red Meat: जानें देश में क्यों तेजी से बढ़ रही है बफैलो मीट की मांग, विदेशियों को भी पसंद है यहां का रेड मीट

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रेड मीट की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. कई मीडिया रिपोर्ट ये बताती है कि भारत में मीट का सेवन करने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. एक आंकड़े पर गौर किया जाए तो देश के 80 फीसदी लोग मांस का सेवन करते हैं और सिर्फ 20 फीसदी लोग ही शाकाहारी हैं. वहीं अमेरिकी कृषि विभाग की विदेशी कृषि सेवा की एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए मीडिया संस्थानों ने रिपोर्ट किया था कि भारत का भैंस के मांस (कैराबीफ) का उत्पादन और निर्यात 2024 में बढ़ने वाला है. क्योंकि इसकी एक्सप्टेंस बढ़ी है. भारत में युवाओं के बीच बफैलो मीट का क्रेज बढ़ा है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2023 में 2.92 मिलियन टन के मुकाबले 2024 में भैंस के मांस की खपत 2.97 मिलियन टन (एमटी) हो सकती है. दरअसल, भारत में मांस और प्रोसेसिंग मीट उत्पादों का सेवन करने के शौकीनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. कैरबीफ़ का सेवन सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी कर रही है. इसकी डिमांड सबसे अधिक युवा उपभोक्ताओं से आती है जो आहार संबंधी अपनी जरूरतों के प्रति जागरुक हो रहे हैं.

पोषण से भरपूर है रेड मीट
गौरतलब है कि कैरबीफ आज भी भारत में उपलब्ध सबसे सस्ता और पोषण से भरपूर रेड मीट है. यूएसडीए के पोस्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, डिस्पोजेबल आय में तेजी, तेजी से बढ़ते शहरीकरण, सुपरमार्केट, हाइपरमार्केट और ऑनलाइन खुदरा बिक्री की बढ़ती पहुंच के साथ आसान उपलब्धता और अंतरराष्ट्रीय व्यंजनों के बारे में बढ़ती जागरूकता उच्च खपत को प्रोत्साहित कर रही है. वहीं घरेलू स्तर पर, स्वाद और पसंद के अलावा, कीमत भैंस के मांस की मांग के लिए एक महत्वपूर्ण कारण बनी है. बताते चलें कि 2023 में, भारत में विभिन्न प्रकार के मांस के मूल्य सूचकांक में के रेट पर उतार-चढ़ाव भी देखा गया है.

79 फीसदी हुआ निर्यात
गौरतलब है कि सभी पशुधन उत्पाद वर्ष की शुरुआत की तुलना में नवंबर 2023 में रेट बढ़े हैं. बताते चलें कि 2023 के औसत मूल्य सूचकांक के आधार पर, पोल्ट्री (चिकन) को छोड़कर, सभी प्रकार के मांस की कीमतों में 2023 में वृद्धि हुई थी. रही बात कि बाजार में बफैलो मीट इतनी तेजी कैसे जगह बना रहा है तो इसके पीछे का कारण ये है कि भारतीय भैंस का मांस “अन्य लाल मांस से कहीं अधिक प्राकृतिक माना जाता है. वहीं भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि कैरबीफ और कैरबीफ उत्पादों का निर्यात 2022-2023 (अप्रैल-मार्च) में भारत से कुल पशु उत्पादों के निर्यात का लगभग 79 प्रतिशत रहा है. भारत का 2024 भैंस मांस निर्यात 1.64 मिलियन टन आंका गया है, जो 2023 में 1.55 मिलियन टन से पांच प्रतिशत अधिक है.

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