Home डेयरी Dairy: दूध में मिलावट रोकने को ये बड़ा कदम उठाने जा रहा है इंदौर, जानें कैसे
डेयरी

Dairy: दूध में मिलावट रोकने को ये बड़ा कदम उठाने जा रहा है इंदौर, जानें कैसे

PEANUT, MILK, CIPHET, LUDHIANA
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. अब इंदौर के लोगों को मिलावटी दूध नहीं पीना पड़ेगा. इसके लिए इंदौर प्रशासन ने बहुत ही प्रशंसनीय काम किया है. दरअसल, लगातार सात वर्षों तक पहले से ही भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित हो चुके इंदौर ने अब यह सुनिश्चित करने के लिए काम शुरू कर दिया है कि वहां के लोगों को मिलावट रहित/दूषित और गुणवत्तापूर्ण दूध मिले. इसको लेकर इंदौर जिला प्रशासन ने शुक्रवार को जिले भर की सभी डेयरियों में फैट चेकिंग मशीनों की स्थापना अनिवार्य करने का फैसला लिया है. इससे अब शहर के लोगों को क्वालिटी वाला दूध मिलेगा.

कंज्यूमर्स को मिलेगी राहत
डेयरियों से सीधे दूध खरीदने वाले सभी उपभोक्ताओं/ग्राहकों को उनके द्वारा खरीदे जा रहे दूध की वास्तविक गुणवत्ता/वसा सामग्री के बारे में जानने का अधिकार होगा. उपभोक्ताओं को सीधे दूध बेचने वाली सभी डायरियों में फैट चेकिंग मशीन या मिल्क फैट एनालाइजर मशीनों के उपयोग से उपभोक्ताओं को मशीनों द्वारा दिखाए गए परिणामों के आधार पर किसी विशेष डेयरी से दूध खरीदने या नहीं खरीदने के बारे में हेल्प मिलेगी. इंदौर जिले के कलेक्टर आशीष्ज्ञ सिंह ने कहा कि जल्द ही इस संबंध में जिला प्रशासन द्वारा सीआरपीसी की धारा 144 के तहत एक निषेधात्मक आदेश जारी किया जाएगा.

अभी तक इस तरह की जाती है जांच
हालाँकि, इंदौर जिला प्रशासन ने अभी तक सभी डेयरियों पर मिल्क फैट जाँच मशीनें लगाने की समय सीमा तय नहीं की है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर में लगभग 1,500 दूध डेयरियां हैं, जिन्हें दूध फैट जांच के परिणाम अनिवार्य रूप से मशीनों पर डिस्पले करना होगा. इंदौर में संचालित डेयरियां पड़ोसी जिलों के गांवों से दूध खरीदती हैं. दूध में मिलावट को रोकने के लिए किसानों से प्राप्त दूध को संग्रह केंद्रों पर एकत्र होता है और दूध के नमूनों की फैट जांच के बाद ही दूध को डेयरियों में पहुंचता है लेकिन बावजूद इसके खाद्य विभाग को उपभोक्ताओं से मिलावट की शिकायतें मिलती हैं.

गुणवत्ता जाानने का अधिकार
यही वजह है कि अब इंदौर जिला प्रशासन ने शहर के प्रसिद्ध फूड लेन – सराफा नाइट फूड मार्केट में संचालित सभी दुकानों का एक विस्तृत डेटाबेस तैयार करने का भी निर्णय लिया. विस्तृत डेटाबेस में प्रत्येक दुकान के सभी संभावित विवरण शामिल होंगे, विशेष रूप से वे दुकानें कितने समय से संचालित हो रही हैं और उनके द्वारा क्या बेचा जा रहा है. डेटाबेस को एक व्यापक सर्वेक्षण के माध्यम से विकसित किया जाएगा जो सुरक्षित भोजन सुनिश्चित करने में काफी मदद करेगा. जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि दूध खरीदने वाले सभी ग्राहकों को यह जानने का अधिकार है कि वे जो दूध खरीद रहे हैं उसकी वास्तविक गुणवत्ता/वसा की मात्रा क्या है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock
डेयरी

Fodder: पशु के लिए सालभर इस फसल से मिलेगा हरा-सूखा चारा, पढ़ें कैसे करें बुआई

रिजका को एकवर्षीय एवं बहुवर्षीय फसल के रूप में उगाया जाता है....

cattle shed, Luwas, Animal Husbandry, Parasitic Diseases, Diseases in Animals, Animals Sick in Rain, Lala Lajpat Rai University of Veterinary Medicine and Animal Sciences, Luwas, Pesticides,
डेयरी

Dairy Animal: डेयरी पशुओं को भूल कर भी न दें ये चारा, दूध की क्वालिटी हो जाएगी खराब

हीं कुछ फीड खिलाने से दूध का टेस्ट भी खराब हो जाता...