नई दिल्ली. महाराष्ट्र में गाय का दूध उत्पादन करने वाले किसानों के हित में एक फैसला लिया गया है. सरकार ने दूध पर दिए जाने वाली सब्सिडी में इजाफा कर दिया है. सरकार की ओर से 2 रुपये प्रति लीटर सब्सिडी बढ़ाई गई है. पहले राज्य में 5 रुपये सब्सिडी दी जाती थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर 7 रुपये कर दिया गया है. सरकार की ओर से कहा गया है कि इससे दूध उत्पादन करने वालों को फायदा होगा लेकिन दूध उत्पादक इस फैसले से खुश नहीं है. आपको बताते चलें कि बढ़ी हुई सब्सिडी 1 अक्टूबर से लागू करने का ऐलान किया गया है.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट बैठक 23 सितंबर को हुई. जहां ये फैसला लिया गया है कि गाय के दूध पर दुग्ध उत्पादकों को 7 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दी जाए. सरकार के इस फैलसे के बाद अब राज्य में सहकारी समितियों और निजी दुग्ध परियोजनाओं को दूध की आपूर्ति करने वाले दुग्ध उत्पादकों को गाय के दूध पर 7 रुपये प्रति लीटर सब्सिडी देना होगा. अभी तक इन दूध उत्पादकों को 5 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दी जाती थी. जबकि इसे बढ़ाने की मांग बहुत दिनों से चल रही थी.
28 रुपये तय हुई दूध की कीमत
यही वजह है कि इसे 5 रुपये से बढ़ाकर सात रुपये कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक दुग्ध संघ 1 अक्टूबर 2024 से दुग्ध उत्पादकों को 3.5 फैट/8.5 एसएनएफ के लिए 28 रुपये प्रति लीटर का भुगतान करने के लिए बाध्य होंगे. इसके बाद दूध उत्पादकों को प्रति लीटर सात रुपये सरकार के माध्यम से उनके बैंक खाते में दिये जायेंगे. इसलिए इन किसानों को दूध के लिए 35 रुपये प्रति लीटर की कीमत मिलती रहेगी. यह योजना 1 अक्टूबर 2024 से लागू होगी. लेकिन इसकी समीक्षा की जायेगी और विस्तार दिया जायेगा. बताया जा रहा है कि इस योजना के लिए 965 करोड़ 24 लाख रुपये के व्यय को मंजूरी दी गयी.
फैसले खुश नहीं हैं दूध उत्पादक
वहीं सरकार के इस फैसले से महाराष्ट्र दुग्ध उत्पादक शेतकरी संघटन खुश नजर नहीं आ रहा है. संघटन के वाइस प्रेसिंडेंट अजित दादा काले का कहना है कि अब तक दूध 30 रुपये खरीदा जा रहा और इसपर 5 रुपये सब्सिडी दी जा रही है. दूध का दाम घटाकर 28 कर दिया गया है और सब्सिडी 2 रुपये बढ़ा दी गई है. इससे दूध उत्पादकों को कहां फायदा हो रहा है? पहले भी 35 रुपये मिलता था 1 अक्टूबर के बाद भी 35 रुपये ही मिलेगा. उन्होंने कहा कि जब तक दूध पर एमएसपी तय नहीं होगी, इसका नतीजा नहीं निकलेगा. इस फैसले में लागत का आंकलन नहीं किया गया है. हरा चारा, मिनरल मिक्सचर सब महंगा है. दूध उत्पादकों को अभी भी नुकसान हो रहा है.
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