नई दिल्ली. मक्का की फसल अगर आप लगाते हैं तो फायदे में रह सकते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि मक्का एक सूखा प्रतिरोधी फसल है जो हर तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है. जिन किसानों के पास खराब मिट्टी वाला रकबा हो, अगर वो वहां पर मक्का की खेती करते हैं तो वहां भी आसानी से ये फसल उग जाएगी. जबकि मक्का की खेती से किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं. बताते चलें कि मक्का एक ऐसी फसल है, जिसका इस्तेमाल पोल्ट्री फीड, मछली फीड और पशुपालन में भी होता है. क्योंकि ये कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है. जबकि मक्का से देश में एथेनॉल भी बनाया जा रहा है, जिससे इसकी डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है.
उत्तर प्रदेश में सरकार मक्का की खेती को बढ़ावा देने का काम कर रही है. सरकार ने दावा किया है कि फिलहाल 2021-2022 में मक्के का उत्पादन 14.67 लाख मीट्रिक टन था. तय अवधि में इसे बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है. इसके लिए रकबा बढ़ाने के के साथ प्रति हेक्टेयर प्रति क्विंटल उत्पादन बढ़ाने पर भी बराबर का जोर है.
एक हेक्टेयर में 100 क्विंटल मिल सकती है उपज
मक्के में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व भी पाए जाते हैं. इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल मिलते हैं। इन्हीं खूबियों के नाते इसे अनाजों की रानी कहा गया है. विशेषज्ञों की मानें तो उन्नत खेती के जरिये मक्के की प्रति हेक्टेयर उपज 100 क्विंटल तक भी संभव है. प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक उत्पादन लेने वाले तमिलनाडु की औसत उपज 59.39 कुंतल है. देश के उपज का औसत 26 कुंतल एवं उत्तर प्रदेश के उपज का औसत 2021-22 में 21.63 कुंतल प्रति हेक्टेयर था. ऐसे में यहां मक्के की उपज बढ़ने की भरपूर संभावना है.
बुआई का ये वक्त है सही
कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार (गोरखपुर) प्रभारी डॉ. एसके तोमर के अनुसार खरीफ के फसल की बोआई के लिए 15 जून से 15 जुलाई तक का समय उपयुक्त होता है. अगर सिंचाई की सुविधा हो तो मई के दूसरे या तीसरे हफ्ते में भी इसकी बुआई की जा सकती है. इससे मानसून आने तक पौधे ऊपर आ जाएंगे और भारी बारिश से होने वाली क्षति नहीं होगी. प्रति एकड़ करीब 8 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. अच्छी उपज के लिए बोआई लाइन में करें. लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी रखें. उपलब्ध हो ती बेड प्लांटर का प्रयोग करें.
Leave a comment