Home पशुपालन First Aid: शेड में ही पशुओं का इलाज करने के लिए बनाएं फर्स्ट एड बाक्स, रखें ये 16 जरूरी चीजें
पशुपालन

First Aid: शेड में ही पशुओं का इलाज करने के लिए बनाएं फर्स्ट एड बाक्स, रखें ये 16 जरूरी चीजें

पशु के शरीर के घाव पर लार गिरने से भी यह बीमारी फैलती है. यह बीमारी पशुओं से इंसानों में भी हो सकती है.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालन भले ही फायदा पहुंचाने वाला व्यवसाय बनता चल जा रहा है लेकिन इसमें जरा सी लापरवाही से बड़ा नुकसान भी हो सकता है. बताते चलें कि देश में 10 फीसदी दूध की डिमांड बढ़ी है लेकिन पशुओं की संख्या इतनी ज्यादा नहीं बढ़ी, जितना की उम्मीद की जा रही थी. इसकी एक वजह पशुओं की बीमारियां भी हैं. क्योंकि पशु बीमार हो जाते हैं तो फिर उनकी मौत भी हो जाती है. एक्सपर्ट का कहना है कि हर पशु पालक की ये कोशिश होनी चाहिए कि उसके यहां कोई दुर्घटना न हो फिर भी दुर्घटनाओं से बचा जाना भी बेहद ही जरूरी है. आम दुघटनायें जो कि फार्म के अंदर होती है उनमें घाव- घोटे, हड्डियों का टूटना, विषैले पदार्थों को खाना, जनन सम्बन्धी परेशानियों, और जलना इत्यादि प्रमुख है.

ऐसे में फर्स्ट ऐड बेहद ही जरूरी है. इसका उद्देश्य है कि पशु चिकित्सा अधिकारी के पहुंचने तक पशु की ऐसी मदद की जाय जिससे कि उसको तकलीफ से राहत, जीवन सुरक्षा, जल्दी से स्वास्थ्य लाभ व पशु चिकित्सालय तक ले जाने में आराम मिले. फर्स्ट ऐड के ​प्रिंसिपल्स की बात की जाए तो ये देने वाले व्यक्ति को केस हिस्ट्री से अवगत होना चाहिये. जिससे समय रहते उचित कदम उठाया जा सके. इसके अलावा भी कई बातों ख्याल रखना होता है. हर प्रत्येक फार्म पर एक बक्सा जिसमें कुछ सामान होने चाहिए, जो फर्स्ट ऐड देते वक्त काम आए. ऐसे करने से पशुओं को गंभीर हालत में पहुंचने से बचाया जा सकता है.

क्या-क्या सामान होना चाहिए, जानें यहां

  1. रूई, पट्टियों, महीन, जालीदार कपड़ा, पुरानी रूई की चद्दरें-घाव की सफाई व पट्टी बांधने के लिये उपलब्ध होनी चाहिए.
  2. रबर की नली-टूनिकेट बनाने के लिये जिससे खून का बहाव रोका जा सके.
  3. सर्जिकल कैंचियां, स्प्लिंट या फटे बांस के टुकड़े-अस्थिमंग के लिये.
  4. दो या तीन थर्मामीटर बुखार मापने के लिये.
  5. डिसइंफिकेंट-पोटेशियम परमंगनेट, एक्रीप्लैविन, डिटाल इत्यादि घाव को धोने के लिये रखना चाहिए.
  6. सल्फनीलामाइड पाउडर-घाव में भरने के लिये.
  7. टैनिक एसिड का चूर्ण विष के उपचार के लिये व जेली जलने के उपचार के लिये.
  8. अरंडी का तेल आँखों में डालने के लिये व सरसों का तेल अफरा के लिये.
  9. तारपीन का तेल-अफरा के लिये.
  10. एप्सम लवण, कापर सल्फेट, सज्जी, स्पेलिंग साल्ट.
  11. जूसी, ओट मील-शामक.
  12. प्रसूति रस्सियां, जंजीरें और हुक.
  13. रस्सियां और हाल्टर रोक के लिये.
  14. ट्रोकार और कैनुला-अफरा में रॉमन्धिका से हवा निकालने के लिये.
  15. टिचर आयोडीन व टिचर वैजॉइन को घावों के लिये.
  16. चाकू-रस्सी इत्यादि काटने के लिये.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

पशुपालन

Elephant: दो हजार किलोमीटर की यात्रा कर मथुरा पहुंचे घायल हाथी को मिला इलाज, जानें क्या है उसे परेशानी

हाथी दुबला-पतला, कुपोषित था, और कोहनी के जोड़ में एंकिलोसिस (जोड़ों की...

goat and sheep difference, Goat FarmingA Goat Farmer, CIRG, Hemocus, Parasite, Animal Husbandry
पशुपालन

Sheep: भेड़ों की अच्छी कमाई के लिए क्या करें, जानें यहां

भेड़ हर तरह की जलवायु में पाली जा सकती है. भेड़ घास...

livestock animal news
पशुपालन

Disease: कर्रा बीमारी को लेकर राजस्थान सरकार अलर्ट, हेल्पलाइन नंबर जारी, मंत्री ने दिए अफसरों को निर्देश

नई दिल्ली. राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने जैसलमेर में...