नई दिल्ली. मथुरा का एक बकरा पशुपलकों के बीच खूब चर्चा में है. दरअसल, उसकी चर्चा इसलिए ज्यादा हो रही है कि उसने जिन बकरियों को भी सर्विस दी हैं, उनमें से ज्यादातर ने तीन बच्चे जन्में हैं. वहीं केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान माथुर ने उस बकरे को सम्मानित किया है. इसके बाद से बकरी की चर्चा और ज्यादा दूर तक फैल गई. बताते चलें कि इस बकरी से बकरियों को गाभिन कराने वालों की भी एक लंबी लिस्ट है. तभी तो बकरे की बोली लग रही थी और अब मथुरा के इस बकरे को मध्यप्रदेश का खरीदार मिला गया है.
बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले ही बकरे के मालिक ने बकरी को एक पशुपालक जो मध्यप्रदेश से ताल्लुक रखता है उसे बेच दिया है. वहीं बकरे के मालिक राशिद खान कहते हैं कि यह बरबरी नस्ल का बकरा था और मध्य प्रदेश के पशुपालक ने इसे खरीदा है. वह खुद भी बकरी बकरियों की ब्रीडिंग पर काम करते हैं और इस बकरे की खासियत सुनकर यहां उसे खरीदने के लिए आए थे.

22 महीना है उम्र, वजन है 48 किलो
स्टार साइंटिफिक गोट फार्मिंग के संचालक राशिद ने बताया कि एक कार्यक्रम के तहत सीआईआरजी ने उनके बकरे को सम्मानित किया था. वहां मौजूद सभी बकरों के बीच हमारा बकरा पहले नंबर पर था. इस बकरी की खास बात यह है कि बकरे से गाभिन होने वाली बकरियां पहली बार में दो से तीन, दूसरी बार में तीन तक बच्चे दे रही हैं. इसकी मां ने भी तीन बच्चे दिए थे. साथ ही दो से सवा दो लीटर दूध देती थी. इस बकरे की उम्र 22 महीना और वजन 48 किलो है.
क्या खिलाते थे इस बकरे को
उन्होंने बताया कि बकरी को रोजाना खुराक के तौर पर 400 ग्राम टोटल मिक्स राशन टीएमआर देते थे. इसके साथ ही हरा चारा 1.25 किलो सूखा चार जैसे दलहनी भूसा भी हर रोज 1.25 किलो खाने में दिया जाता था. इस बकरे जिस दिन बकरी को गाभिन कराया जाता था तो उसे खास दिन बकरे की खुराक में टीएमआर की मात्रा 600 से 700 ग्राम कर दी जाती थी. इस बकरे से 5 से 6 बकरियां गाभिन कराई जाती थी. एक दिन की सर्विस में कम से कम 12 घंटे का अंतर रखा जाता है ताकि बकरी के सीमेन की क्वालिटी भी खराब न हो. 50 बकरियों को यह बकरा अब तक सर्विस दे चुका है. उसमें से 15 बकरियों को तीन बच्चे हुए और बाकी को दो बच्चे.
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