Home मीट Meat Production: देश में मीट सेक्टर में कई हैं चुनौतियां, इससे क्या पड़ रहा है असर, जानें यहां
मीट

Meat Production: देश में मीट सेक्टर में कई हैं चुनौतियां, इससे क्या पड़ रहा है असर, जानें यहां

mutton, livestock
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. भारत में मीट सेक्टर में कई चुनौतिया हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि ज्यादातर निकाय बुनियादी न्यूनतम सुविधाएं या आधारभूत संरचना (पेयजल की आपूर्ति, उचित सड़कें, वध और वस्त्र उत्पादन सुविधाएँ) प्रदान करने में फेल हैं. जो उपभोक्ताओं के लिए साफ और सुरक्षित मांस उत्पादन के लिए जरूरी है. स्लाटर हाउस से निकलने वाले बाई प्रोडक्ट के उपयोग और वेस्ट को निपटाने के लिए बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है. देश के विभिन्न हिस्सों में नर भैंस के बकरियों की मृत्युदर को कम करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि ये बकरियां अन्यथा निर्यात और घरेलू उपभोक्ता के लिए गुणवत्ता वाले मांस प्रदान करने के लिए बचाई जा सकती हैं.

आंकड़ों के अनुसार, प्रति वर्ष 14 मिलियन नर भैंस के बकरियां मर जाती हैं. यदि 70 फीसदी को बचाया या फिर पाला जाए तो 175 किलोग्राम प्रति व्यक्ति जिसमें खाद्य मांस आपूर्ति हो सकेगी. इससे प्रति वर्ष 1.72 मिलियन टन अतिरिक्त मांस मिल सकता है. यदि हम 14 मिलियन नर भैंस के बकरियों में से 50 फीसदी को बचाते हैं और उन्हें मांस उद्योग के लिए तैयार करते हैं, तो इनका निर्यात मूल्य 22 हजार 000 करोड़ रुपये हो सकता है.

खास नस्लों की कमी और ये भी दिक्कते हैं
खास नस्लों की कमी, जानवरों को बहुत कम उम्र में या शुरुआती उम्र में खराबी के कारण, चारे की कमी और भारत में निरंतर कटाई नीति की अनुपस्थिति के कारण नुकसान हो रहा है. जिंदा जानवरों/पक्षियों के लंबी दूरी के ट्रांसफर करने और परिवहन से भी दिक्कतें आरही हैं. पूरे देश से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों में स्थित मांस निर्यात इकाइयों के लिए भैंस का परिवहन होता है. इससे परिवहन हानि, बिचौलियों के असर से लागत में इजाफा होता है. मानक दिशानिर्देशों के अनुसार जीवित जानवरों के परिवहन के लिए पर्याप्त पशुधन मंडी, वाहन, जानवर लोडिंग और अनलोडिंग रैंप की कमी भी है.

घरेलू स्लाटर की खराब स्थिति
देश में घरेलू स्लाउटर हाउस की स्थिति खराब है. जैसे संपर्क मार्गों की कमी, पर्याप्त पीने के पानी की आपूर्ति की कमी, फर्श पर वध, स्वच्छ और अस्वच्छ क्षेत्रों के बीच विभाजन की अनुपस्थिति, अवशिष्टों की अप्रभावी वसूली और उपयोग आदि तैयार शवों के परिवहन के लिए ठंडे परिवहन वाहनों की कमी भी है. बुनियादी न्यूनतम सुविधाओं के बिना खुदरा दुकानों की खराब स्थिति है. साफ और सुरक्षित मांस उत्पादन के लिए कुशल मानव संसाधनों की कमी है. मांस और मांस उत्पादों की गुणवत्ता, सुरक्षा, ठंडा करने, पैकेजिंग और आधुनिक खुदरा व्यापार के बारे में जागरूकता की कमी भी है. पशुधन उत्पादों के संभावित उपयोग, आर्थिक मूल्य और वैकल्पिक उपयोग के बारे में शिक्षा की भी कमी है.

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
मीट

Goat Farming: मीट के लिए करना चाहते हैं बकरी पालन तो जानें बिजनेस से जुड़ी अहम बातें यहां

जिस जानवर का वजन जितना ज्यादा होता है उसका दाम उतना ही...

अपने आकार के अनुसार एक मुर्गी 10-15 चूजे पाल सकती है.
पोल्ट्रीमीट

Meat: चिकन रिटेल बाजार के सामने क्या हैं चुनौतियां, पढ़ें यहां

बाजार में सालाना 8-10 फीसद की वृद्धि होने का अनुमान है, जो...