नई दिल्ली. पशुपालन को बढ़ावा देना इसलिए भी जरूरी है कि इससे किसानों की इनकम को बढ़ाया जा सकता है. जबकि घटती उपजाउ जमीनों की कमी के चलते पशु खाद्य चीजों की कमी को दूर करने में भी बेहतर विकल्प है. वहीं किसानों के पास कृषि के अलावा आय कमाने का एक और जरिया भी इससे मिलता है. जबकि पशुपालन से दूध की जरूरत को भी पूरा किया जा सकता है. शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक अच्छी क्वालिटी के दूध की डिमांड बहुत ज्यादा है. इस डिमांड को पूरा करने के लिए पशुपालन बेहद ही जरूरी है.
यही वजह है कि उत्तर प्रदेश की सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई काम कर रही है. जिसमें पशु विकास एवं पशु प्रजनन कार्यक्रम की भी शुरुआत की गई है.पशु विकास कार्यक्रम मुख्य रूप से उन्नत प्रजनन पर आधारित है.
बांझपन का किया जा रहा है इलाज
प्रदेश मे पशुप्रजनन नीति 2002 से चल रही है. जिसे वर्ष 2018 में संशोधित कर और बेहतर बनाया गया है. विभागीय केन्द्रों और पैरावेट्स मैत्री के सहयोग से कृत्रिम गर्भाधान का बढ़ावा दिया गया है. पशु प्रजनन के लिए जरूरी अवयवों की लगातार आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है. कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रो को मजबूत कर पशुपालकों के घर पर कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. हर पशुचिकित्सालय के कार्य क्षेत्र में बांझपन निवारण शिविरो का आयोजन कर बांझपन समस्या से ग्रस्त पशुओं का समुचित उपचार कर प्रजनन योग्य बनाया जा रहा है. हाई क्वालिटी के जर्म प्लाज्म के उत्पादन के उद्देश्य से बुलमदर फार्म का प्रबंधन एवं संचालन किया जा रहा है. पशुओं में परजीवी कृमिनाशक दवापान, मिनरल मिक्सचर, टीकाकरण कार्यकमों के संचालन से उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सरकार काम कर रही है.
आईवीएफ कार्यक्रम शुरू किया गया
ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन संबंधी स्वरोजगार के अतिरिक्त अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है. भ्रूण प्रत्यारोपण (एम०ओ०ई०टी०) आई०वी०एफ० कार्यक्रम भी चल रहा है. भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र की स्थापना भारत सरकार के राष्ट्रीय गाय एवं भैंस प्रजनन परियोजना अन्तर्गत वर्ष 2013 में राजकीय पशुधन प्रक्षेत्र, चकगंजरिया, लखनऊ पर साहीवाल नस्ल के उच्च आनुवंशिकगुणवत्ता युक्त पशुओं के संरक्षण, सम्वर्द्धन एवं विकास के लिए की गयी, जिसका स्थानान्तरणवर्ष 2014-15 में राजकीय पशुधन प्रक्षेत्र, निबलेट, बाराबंकी में कर दिया गया तथा अब इसे भ्रूणप्रत्यारोपण प्रयोगशाला, चकगंजरिया, निबलेट, बाराबंकी के नाम से जाना जाता है. वर्ष 2018 में भारत सरकार द्वारा आईवीएफ कार्यक्रम शुरू करने हेतु धनराशि उपलब्ध करायी गयी, जिसके बाद अक्टूबर 2020 से केन्द्र पर आईवीएफ (इनविट्रोफर्टिलाइजेशन) का काम शुरू किया गया है. पशु प्रजनन हेतु 5043 विभागीय संस्थाओं द्वारा कृत्रिम गर्भाधान सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है. स्वरोजगार के अंतर्गत प्रशिक्षित 6052 क्रियाशील पैरावेट्स के द्वारा भी कृत्रिम गर्भाधान सेवा पशुपालक के द्वार पर उपलब्धध करायी जा रही है.
Leave a comment