नई दिल्ली. पशुपालन ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए आय का दूसरा सबसे बड़ा जरिया है. खेती—किसानी के बाद सबसे ज्यादा पशुपालन पर ही ग्रामीण आश्रित हैं. अब पशुपालन को मजबूत बनाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया की मदद ली जाएगी. ताकि किसानों को बकायदा तौर पर इस सेक्टर के फायदों के बारे में बताया जा सके. ताकि किसान इससे जुड़कर अपनी आय बढ़ा सकें. इसको लेकर वेटरनरी विश्वविद्यालय के सामाजिक विकास एवं सहभागिता प्रकोष्ठ एवं राजस्थान पत्रिका, बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में “समाज और पशुपालन के परिपेक्ष्य में पत्रकारिता का महत्व” विषय पर बुधवार को संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि देश की जी.डी.पी. में पशुपालन का बहुत बड़ा योगदान है. देश की आजादी के बाद हम खाद्यान एवं पशुउत्पादों में आत्म निर्भर हो गये है लेकिन लघु एवं सीमान्त किसानों एवं पशुपालकों को आज भी पूरा लागत मूल्य नहीं मिल पा रहा है. पत्रकारिता एवं सोशल मीडिया के माध्यम में किसानों एवं पशुपालकों की वस्तुस्थिति, समस्या आदि सरकार के ध्यान में लाकर हम पशुपालन व्यवसाय को और अधिक सुद्दढ़ बना सकते है.
मीडिया के जरिए जागरुक किया जाए
उन्होंने कहा कि प्रेस मीडिया जहां सूचनाओं को जन-जन तक पहुंचाती है वहां समाजिक सरोकार के कार्य करके राष्ट्र उत्थान में सहायक हो सकते है. इसलिए जरूरी है कि मीडिया के जरिए लोगों को पशुपालन के बारे में जागरुक किया जाए. स्पेशल गेस्ट कमान्डेट (बी.एस.एफ.) डॉ. गोपेश नाग ने कहा कि पशुचिकित्सा दूर-दराज के क्षेत्र में पशुकल्याण के कार्यों में लगी है. उनका कार्य क्षेत्र बहुत व्यापक है. पत्रकारिता के माध्यम से पशु कल्याण के कार्यों, शोध एवं योजनाओं को आमजन तक पहुचाकर उनके उत्थान एवं जन कल्याण का कार्य कर सकते हैं.
अब प्रोफेशनलिज्म का दौर है
कार्यक्रम के स्पेशल गेस्ट हरिशंकर आचार्य, उपनिदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, बीकानेर ने पत्रकारिता के इतिहास पर विस्तृत जानकारी दी और पशुचिकित्सा, पशुकल्याण एवं पशु विज्ञान के कार्यों को समाचार पत्रों में विशेष महत्व देने की जरूरत बताई. कार्यक्रम के दौरान दिनेश चन्द्र सक्सेना सेवानिवृत संयुक्त निदेशक, जन सम्पर्क विभाग, बीकानेर ने कहा कि आज प्रोफेशनलिज्म का युग है इसमें हमे आर्थिक परिपेक्ष्य में साथ-साथ समाजिक उत्थान एवं सामाजिक सरोकार को भी महत्व देना होगा. पत्रकारिता का विषय जन मानस के साथ जुड़ा है. इसलिए हमें पत्रकारिता के माध्यम में जनमानस में नाकारात्मक दृष्टिकोण को हटाकर सकारात्मक स्थिति को दिखना चाहिए.
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