नई दिल्ली. पशुपालन में अगर सफलता चाहते हैं तो सबसे जरूरी काम ये है कि पशुओं को हर तरह की बीमारियों से बचाया जाए. क्योंकि जब पशुओं को बीमारी हो जाती है तो इसका सबसे पहला असर उनके उत्पादन पर पड़ता है. जबकि पशुपालन में उत्पादन की वजह से ही मुनाफा मिलता है. अगर आप ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि पशुओं को बीमार नहीं होने देना है. उसके बीमार होने से पहले ही तमाम जरूरी एहतियाती कदम उठा लेना है ताकि बीमारी उसके करीब भी ना आए.
वैसे तो पशुओं में कई बीमारियां होती हैं. जिसकी वजह से नुकसान उठाना पड़ता है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको पशुओं में होने वाले मिल्क फीवर के बारे में बताने जा रहे हैं. आमतौर पर बछड़े के जन्म के 48 घंटे के अंदर पशु को खून में कैल्शियम के स्तर में गिरावट की वजह से मिलकर फीवर होता है.
क्या होता है पशुओं को नुकसान
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं में मिल्क फीवर एक गंभीर बीमारी है. अगर यह एक बार हो गई तो दूध उत्पादन क्षमता और पशु के स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है. इससे पशुओं को शारीरिक रूप से बहुत नुकसान होता है. जिसमें दूध उत्पादन में कमी हो जाती है. साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है. इतना ही नहीं यह बीमारी गंभीर स्थिति में पहुंच जाए तब मृत्यु भी हो सकती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो मिल्क फीवर से पशुओं में डिस्टोसिया, गर्भाशय संक्रमण और प्लेसेंटा प्रतिधारण जैसी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं. यह तो रही कि मिल्क फीवर से क्या नुकसान हो सकता है इसकी बात. आगे हम जानेंगे कि इस बीमारी से रोकथाम कैसे की जा सकती है.
रोकथाम और लक्षण के बारे में जानें यहां
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि मिल्क फीवर को रोकने के लिए पशुपालकों को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए. जैसे पशुओं को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी देते रहना चाहिए. इससे मिल्क फीवर की समस्या को रोका जा सकता है. पशुओं को प्रसव के दौरान अच्छी तरह से देखभाल करना चाहिए और उन्हें कैल्शियम की कमी से बचना चाहिए. मान लीजिए, इसके बावजूद अगर मिल्क फीवर के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें और उपचार करना चाहिए. लक्षण की बात करें तो मिल्क फीवर में पशु कमजोर दिखाई देता है और सुस्त नजर आता है. उठने और बैठने में उसको दिक्कत आती है. पशु के शरीर में कंपन होता है. खासतौर पर हाथ और पैर और गर्दन में. पशु लंगड़ा कर चलता है. कभी-कभी गिर भी जाता है. पशु का शरीर ठंडा रहता है.
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