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Milk Production: इन जड़ी-बूटियों को खिलाएं, पशु क्षमता के मुताबिक करेगा दूध उत्पादन

ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. कई पशुपालक भाइयों के सामने यह समस्या रहती है कि उनका पशु क्षमता के मुताबिक दूध उत्पादन नहीं करता है. मान लीजिए कि किसी पशु की दूध उत्पादन करने की क्षमता 12 लीटर की है लेकिन वो 6 लीटर का दूध उत्पादन कर रहा है तो ऐसे में ये मान लीजिए कि उसे इलाज की जरूरत है. यहां इलाज का मतलब बीमारी का इलाज नहीं है. दरअसल, कई बार शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी के कारण पशु दूध का उत्पादन कम करता है. ऐसे में देसी नुस्खों से पशु का इलाज किया जाता है. जिससे कि पशु का दूध उत्पादन बढ़ जाता है.

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि कई बार पशुओं के शरीर में कई मिनरल्स की कमी होती है. इसकी वजह से भी दूध उत्पादन कम हो जाता है. आपको हम यहां एक ऐसा तरीका बताने जा रहे हैं जो पशु कम दूध दे रहा है, इससे उसका दूध उत्पादन बढ़ जाएगा. बस इसके लिए आपको कुछ देसी जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करना है. जिससे पशुओं का दूध उत्पादन तेजी से बढ़ेगा. इससे आपको डेयरी फार्मिंग में खूब अच्छा मुनाफा कमाने का भी मौका मिल जाएगा, तो आइए इस बारे में जानते हैं.

इस खास मिश्रण को बनाएं
दरअसल, आपको जड़ी-बूटियां से पशु के लिए एक खुराक तैयार करनी होगी. इसमें आपको एक किलो सौंफ की जरूरत पड़ेगी. वहीं इस मिश्रण के लिए एक किलो आंवला भी लगेगा. एक किलो मुलेठी, एक किलो धागे वाली मिश्री, एक किलो पीली शतावर और किलो अश्वगंधा की जरूरत भी होगी. इन सभी चीजों को पीस लें और फिर पशुओं को दे दें. पशुओं को देने के तरीके की बात की जाए तो 100 ग्राम हर दिन पशुओं को देना है. जिससे उनके शरीर में कोई कमी होगी तो वह दूर हो जाएगी. इससे पशु ज्यादा दूध का उत्पादन करने लगेगा.

इन जड़ी-बूटियों में होते हैं कई गुण
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अश्वगंधा, मुलेठी, आंवला और सौंफ जैसे चीजों में कई पोषक तत्व होते हैं. ये पशुओं की हैल्थ के लिए अच्छे होते हैं. अश्वगंधा तनाव को कम करता है. मुलेठी सर्दी और खांसी में भी कारगर होती है. वहीं आंवल में विटामिन सी और एंटीआक्सीडेंट होता है. जबकि सौंफ पाचन में मदद करता है. सौंफ खाने से पशु की पाचन शक्ति अच्छी होती है. उसे जो कुछ भी दिया जाता है, वो अच्छे पच जाता है और उसके शरीर को लगता है. इससे पशु का दूध उत्पादन बढ़ता है.

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