नई दिल्ली. मध्य प्रदेश की सरकार ने दूध उत्पादन करने वाले पशुपालकों के लिए राज्य का खजाना खोल दिया है. अमूल के पैटर्न पर काम करते हुए पशुपालकों को फायदा पहुंचाने के मकसद से मध्य प्रदेश सरकार ने कदम उठाया है. वहीं दूध उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन के रूप में 5 रुपये प्रति लीटर देने की बात कही है. यह राशि सीधे-सीधे किसानों के खाते में जाएगी. सरकार इस प्रोत्साहन पर प्रतिवर्ष 200 करोड़ रुपये की लागत वहन करेगी. अधिकारियों का कहना है कि मध्यप्रदेश में मोहन यादव के नेतृत्व में भाजपा सरकार का ध्यान दूध उत्पादन बढ़ाने पर है. वहीं इस कदम को दूध संग्रह को व्यवस्थित करने और किसानों को इसका फायदा पहुंचने की कोशिश में यह बड़ा कदम बताया जा रहा है.
10 लाख लीटर दूध रखरीदने का लक्ष्य
सरकार की शीर्ष स्तर पर हुई बैठक में किसानों को प्रति 5 लीटर प्रोत्साहन राशि देने के फैसले पर सहमति बन चुकी है. वित्त विभाग ने भी प्रस्ताव को मंजूरी दी है. कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के आचार संहिता लगने से पहले ही इसे कैबिनेट में लाया जाएगा. मध्य प्रदेश में दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को प्रतिदिन 10 लाख लीटर दूध खरीदने का लक्ष्य रखा गया है. पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार लखन पटेल ने कहा कि दूध किसानों को प्रोत्साहट के रूप में 5 रुपये प्रति लीटर देने का प्रस्ताव विचारधीन है और जल्दी इस पर निर्णय होगा.
कलेक्शन नेटवर्क होगा मजबूत
कहा गया कि सरकार गुजरात जैसे अमूल मॉडल पर एमपी में भी काम करने को लेकर विचार कर रही है. पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मध्य प्रदेश में दूध उत्पादन कम नहीं है लेकिन कलेक्शन नेटवर्क की स्थिति ठीक नहीं है. मध्य प्रदेश के दूध उत्पादकों से दूध की खरीद सुनिश्चित करने और डेयरी किसानों को दूध का सही दाम मिले इसके लिए 10 जनवरी को अहमदाबाद में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सांची और अमूल की संयुक्त बैठक में भाग लिया था. जहां तमाम मसलों पर विचार विमर्श हुआ.
रोडमैप तैयार करने का निर्देश
मंत्री ने डेयरी किसानों को हितों को मजबूत करने के लिए दूध संग्रहण, गुणवत्ता नियंत्रण, प्रसंस्करण, विपणन, क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, मानव संसाधन, डेयरी किसानों पर केंद्रित कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में मध्य प्रदेश-गुजरात के दूध संघों और दुग्ध संघ की सामूहिक भागीदारी के लिए रोडमैप तैयार करने को कहा है. बता दें कि साल 2021 में उत्तराखंड सरकार ने देहरादून में दूध मूल्य प्रोत्साहन योजना शुरू की थी. इस योजना का उद्देश्य उत्तराखंड के लगभग 53000 लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना था.
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