नई दिल्ली.पशु पालन में भैंस का पालन दूध और मीट के लिए किया जाता है. हालांकि भैंस में सबसे ज्यादा खास मानी जानी वाली नस्ल मुर्रा है. ये भैंस ज्यादा दूध देने की क्षमता की वजह से जानी जाती है. किसान मुर्रा भैंस का पालन करके अच्छी कमाई कर सकते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्ल मुर्रा को ही माना जाता है. ये भैंस औसतन दिन में 25 लीटर से लेकर 30 लीटर तक दूध देने में सक्षम होती है. पहली अवस्था 14 दिन से 100 दिन, दूसरी अवस्था 100 दिन से 200 दिन तथा तीसरी अवस्था 200 दिन से 305 दिन तक ये दूध देती है. यानी भैंस बियाने के 45 से 50 हफ्ते तक ही दूध देती है. भारत में इसकी कीमत 70-80 रुपये लीटर है. अमेरिका में इसे पीने के लिए 250 रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
430 किलो होता है इसका वजन
मुर्रा मशहूर तौर पर हरियाणा राज्य के रोहतक जिले की नस्ल मानी जाती है या ज्यादातर हिसार रोहतक और हरियाणा के जींद और पंजाब के पटियाला व नाभा जेल में पाई जाती है इसे कई और कुंडी और दिल्ली के नाम से भी जाना जाता है इस नस्ल का रंग शाह कला होता है और पूछ का हिस्सा निचला हिस्सा सफेद होता है इसके सीन छोटे गुंडे पूंछ लंबी पैरों तक होती है गर्दन और सिद्ध पतला होता है भारी लेवा और धन लंबे होते हैं इसके मुड़े हुए नल से इसे अन्य नस्लों से अलग बनाता है या एक बयान में 1600 से 1800 लीटर दूध देने में सक्षम है इसके दूध में 7% तक वसा होती है और इसका इसके सेंड का औसतन भर 575 किलो और भैंस का औसतन भाग 430 किलो होता है
चारे में क्या देना चाहिए
आमतौर पर इस नस्ल की भैंस को जरूरत के अनुसार ही खुराक देनी चाहिए. फलीदार चारे के आलवा इसमें तूड़ी या अन्य चारा मिल लेना चाहिए ताकि अफरा और बदहजमी ना हो. दाने में मक्की, गेहूं, जौ और बाजरा देना चाहिए. जबकि तेल बीजों में मूंगफली, तिल, सोयाबीन, बेड़वे सरसों और सूरजमुखी देना चाहिए. गेहूं का चोकर चावल की पॉलिश, बिना तेल के चावलों की पॉलिश ये शौक से खाती हैं.
शेड की होती है जरूरत
अच्छे उत्पादन के लिए पशुओं का अनुकूल पर्यावरण परिस्थितियों की आवश्यकता होती है. पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और परजीवी से बचने के लिए शेड की आवश्यकता होती है. सुनिश्चित करें कि शेड में साफ सफाई होनी चाहिए. हवा पानी की व्यवस्था होनी चाहिए. पशुओं की संख्या के अनुसार भोजन के लिए जगह बड़ी रखनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन खा सकें. पशुओं के व्यर्थ पदार्थ की निकासी के लिए पाइप को 30 से 40 सेंटीमीटर चौड़ी 5 सेंटीमीटर गहरी होनी चाहिए. मुर्रा भैंस जब गाभिन हो तो इसको 1 किलो अधिक फीड दें क्योंकि यह शारीरिक रूप से भी बढ़ती है. इससे दूध उत्पादन भी बढ़ता है.
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