नई दिल्ली. कई लोग सोचते हैं कि खेती-बाड़ी करके ही मुनाफा कमा सकते हैं लेकिन पशुपालन करेंगे तो और भी ज्यादा कमाई कर सकते हैं. जब पशु पालन की बात आती है तो लोग बड़ी-बड़ी नस्ल के पशु पालने की बात करते हैं लेकिन अगर ऐसी नस्ल की भैंसे पाली जाए जिनके खाने पर कर्म खर्च हो और ज्यादा दूध मिले तो सोने पर सुहागा. आज हम ऐसी ही नस्ल की बात कर रहे हैं, ये नस्ल है गुजरात की बन्नी भैंस. जीरो लागत पर दिनभर में 15 लीटर तक दूध उत्पादन मिल जाए तो फिर पशुपालकों का फायदा ही फायदा होगा. आइये जानते हैं गुजरात की इस भैंस के बारे में. यह भैंस मुख्य रूप से हरे चारे पर निर्भर करती है. बन्नी भैंस गुजरात में एक महत्वपूर्ण नस्ल है और इसे कम लागत में अच्छा मुनाफा देने के लिए जाना जाता है.
पशुओं में सबसे बड़ी बात होती है, खिलाने की. इस नस्ल की भैंस की खासियत है कि इसे और कुछ नहीं देना पड़ता है, बस चराई करके ही वो अच्छा उत्पादन देती है. यही वजह है कि गुजरात में गरीब और भूमिहीन किसानों की ये पहली पसंद है. जिसे पालकर वो अपना जीवन यापन करते हैं और दूध बेचकर अच्छी इनकम लेते हैं.
बन्नी भैंस की खासियत: बन्नी भैंस की खासियत है कि ये भैंस दिन भर चरने के बाद अपने डेरे पर वापस आ जाती है. कम लागत पर अच्छा दूध उत्पादन देती है. इन भैसों से जो दूध उत्पादन मिलता है, उसी दूध को बेचकर ये लोग अपना जीवन निर्वाह करते हैं. इस
भैंस की पहचान की बात करतें तो इसका चेहरा चौड़ा तथा चपटा होता है. वहीं आकार में छोटा होता है. इसके सींग छोटे तथा घुमावदार होते हैं. इसके शारीर का रंग काला होता है. इसका शारीरिक औसत भार 400-500 किलोग्राम तक होता है. ये भैंस एक दिन में 8 से 10 लीटर दूध देती हैं.अगर इन्हें अच्छे से चारा दिया जाए तो इनका दूध 15 लीटर तक पहुंच सकता है.
बन्नी भैंस इसलिए जानी जाती है: यह भैंस गुजरात के सूखे और गर्म जलवायु में रहने के लिए अनुकूलित है. इस भैंस का प्रबंधन करना आसान है. क्योंकि यह अधिक चारा नहीं खाती है और ना विशेष देखभाल की आवश्यकता की जरुरत होती है. बन्नी भैंस की कीमत 80-90 हजार से लेकर 2 लाख तक हो सकती है. बन्नी भैंस को आमतौर पर “मालधारी” नामक एक स्थानीय समुदाय द्वारा पाला और संरक्षित किया जाता है. इसे हवादार और साफ जगह पर रखना चाहिए. नियमित रूप से साफ-सफाई और समुचित आहार देना चाहिए.
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