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Animal News: राष्ट्रीय पशुधन मिशन के क्या हैं फायदे, पशुपालकों के लिए क्यों बेहतरीन स्कीम है ये, जानें यहां

मध्य प्रदेश के एक गौशाला में चारा खाती गायें.

नई दिल्ली. सरकार की ओर से पशुपालन, मुर्गीपालन और मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं. सरकार योजनाओं के जरिए पैसों को खर्च कर रही है और लोगों को इसका फायदा भी हो रहा है. सरकार ने ही राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) को शुरू किया है. इस योजना में रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास, प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि और इस प्रकार मांस, बकरी के दूध, अंडे तथा ऊन के उत्पादन में वृद्धि को लक्षित करने पर बल दिया जाता है. ताकि लोगों को आजीविका भी मिले, किसानों की इनकम बढ़ें और रोजगार के नए अवसर भी पैदा हों.

साल 2024 में ऊंट, घोड़े, गधे, खच्चर के विकास जैसे नए कार्यकलापों को शामिल करने के लिए योजना में संशोधन किया गया है. पहली बार इन पशुओं को व्यक्तिगत, एफपीओ, एसएचजी, जेएलजी, एफसीओ और धारा 8 कंपनियों के प्रोत्साहन के माध्यम से प्रजनक फार्मों की स्थापना के लिए शामिल किया गया है.

15 प्रतिशत में ही करवाएं पशुओं का बीमा
वहीं एनएलएम की जगह हरे चारे की आवश्यकता को पूरा करने के लिए सामान्य चारागाह भूमि, डिग्रेडेड वन भूमि, बंजर भूमि और वन भूमि में चारा उत्पादन के लिए कार्यकलाप किए जाते हैं. इससे चारे की खेती क्षेत्रफल को बढ़ाने में मदद मिलेगी. केंद्र सरकार ने पशुधन बीमा कार्यक्रम को भी सुव्यवस्थित किया है. लाभार्थी द्वारा प्रीमियम योगदान का हिस्सा घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है जो पहले विभिन्न लाभार्थियों और अलग-अलग श्रेणी के राज्यों के लिए 20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत के बीच था. अब लाभार्थी केवल 15 प्रतिशत प्रीमियम राशि देकर अपने पशुओं का बीमा करवा सकते हैं जबकि प्रीमियम की शेष राशि का भुगतान केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा सामान्य राज्यों के लिए 60:40 के आधार पर, उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों लिए 90:10 के आधार पर होगा.

कितना खर्च किया गया
जबकि केंद्रशासित प्रदेशों के लिए शत प्रतिशत प्रीमियम राशि केंद्र सरकार भरेगी. साथ ही, एक लाभार्थी द्वारा बीमा किए जाने वाले पशुओं की संख्या भी 5 गोपशु इकाई (1 गोपशु इकाई = एक बड़ा पशु या 10 छोटे पशु) से बढ़ाकर 10 गोपशु इकाई कर दी गई है. अब एक लाभार्थी 100 छोटे पशुओं और 10 बड़े पशुओं का बीमा कर सकता है. हालांकि, सुअर और खरगोश के लिए पशुओं की संख्या 5 गोपशु इकाई होगी. मौजूदा वक्त में, बीमा प्रतिशत केवल 0.98 फीसद है, सरकार ने देश में कुल पशु आबादी के 5 फीसद को शामिल करने की पहल की है. वित्तीय प्रगति वर्ष 2024-25 के दौरान 324 करोड़ रु. आवंटित किए गए हैं, जिनमें से अब तक 190 करोड़ रुपयों का उपयोग किया जा चुका है. अब तक पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा 2858 आवेदन अनुमोदित किए गए हैं और 1168 लाभार्थियों को सब्सिडी के रूप में 235.30 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.

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