नई दिल्ली. गर्मी के दिनों में पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराना पशुपालकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहती है. पौष्टिकता से भरपूर और सस्ता चार दूध की कीमतें कम करने में भी मददगार साबित होता है. जबकि इसका सेवन करने से पशु का दूध उत्पादन भी बढ़ जाता है. इसका फायदा पशुपालकों का होता है. इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढी का कहना है कि मार्च में ज्वार, बाजरा, लोबिया, मक्का की बुवाई करने से जून में भरपूर चारा उपलब्ध रहता है.
पशुपालकों को गर्मी को देखते हुए अभी से तैयारी शुरू कर देना चाहिए. हरे चारे की कमी से निपटना है तो मार्च में ही कुछ खास तैयारी करनी होगी. ऐसा करने पर पशुपालक को सिर्फ जून नहीं बल्कि अगस्त-सितंबर के लिए भी हरा चारा स्टोर हो जाएगा. जिसका फायदा उन्हें मिलेगा.
पौष्टिक चारा हासिल करें
एक्सपर्ट कहते हैं कि किसान चारे की फसल के बीज बेचकर भी अपनी इनकम को बढ़ा सकते हैं. यदि बरसीम जई और रिजका की फसल से बीज उत्पादन किया जाए तो अच्छी खासी आमदनी हो सकती है. खास तौर पर गर्मियों में हरे चारे की कमी हो जाती है. इसलिए मई-जून में पशुओं के लिए हरे चारे की कोई कमी न रहे, इस वजह से मार्च में ही हरे चारे की बुवाई शुरू कर देना चाहिए. इस दौरान ज्वार, बाजरा, लोबिया, मक्का की बुवाई करने से अच्छा पौष्टिक चारा हासिल किया जा सकता है. कृषि विज्ञान केंद्र सदलपुर और गांव ढाणा कलां में 100 किसानों को गोष्ठी आयोजित करके इस संबंध में जागरूक किया गया है.
इस तरह तैयार करें साइलेज
कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि घर पर हरे चारे से आसानी से साइलेज बनाया जा सकता है. जैसे पतले तने वाले चारे की फसल को पकने से पहले काट लेना चाहिए. उसके बाद तने के छोटे-छोटे टुकड़े छोड़ दें. उन्हें तब तक सुखाया जाए जब तक उसमें 15 से 18 फ़ीसदी तक नमी न रह जाए. फिर साइलेज के लिए हमेशा पतली तने वाली फसल का चुनाव करें. पतली तने वाली फसल जल्दी सुखेगी. कई बार ज्यादा लंबे समय तक सूखने के चलते भी चारे में फंगस की शिकायत होती है. चारे का तना टूटने लगे, इसके बाद इन्हें अच्छी तरह से पैक करें और इस तरह रखें कि बाहर की हवा न लगे.
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